में सीएम हेमंत की घोषणा : 16 करोड़ खर्च कर शहीद स्थल को बनाया जाएगा पर्यटक स्थल
आज तक किसी आयोग से नहीं कराई गई घटना की जांच
श्री टुडू ने कहा कि उक्त सभा खरसावां को ओडिसा राज्य में मिलाने के विरोध में हो रही थी. इस विशाल आमसभा को मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा को संबोधन करना था, पर किसी कारणवश वे इस सभा में नहीं उपस्थित हो पाए. अगर वे रहते तो उनकी भी वही स्थिति होती, जो सैकड़ों आदिवासियों की हुई. निहत्थों को गोलियों से भून दिया गया. कई किलोमीटर तक लोगों की लाश बिखरी पड़ी हुए थी. इतने जघन्य हत्याकांड की किसी भी आयोग द्वारा जांच नहीं कराई गई, न ही दोषियों को सजा दी गई. आज तक शहीद हुए लोगों का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं है. यहां तक कि राज्य सरकार द्वारा शहीद परिवारों को चिन्हित कर सम्मानित करने की कोशिश भी नहीं की गई, जो दुर्भाग्यपूर्ण है. श्रद्धांजलि सभा में पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष हाबलू कुमार बेरा, फागू बास्के, लखन मुर्मू, गुरुचरण दास, इलियास हीरो, जादुनंदन मुर्मू, दुर्गा बोईपाई, अंजू देवी, लक्ष्मण किस्कू, सोना राम किस्कू, ओम प्रकाश गुप्ता आदि उपस्थित थे. इसे भी पढ़ें: खरसावां">https://lagatar.in/kharsawan-on-january-1-1948-the-family-members-of-the-leaders-of-the-movement-dashrath-and-mangu-soy-expected-government-honors/">खरसावां: 1 जनवरी 1948 में आंदोलन के अगुवा दशरथ व मांगू सोय के परिजनों को सरकारी सम्मान की आस [wpse_comments_template]

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