New Delhi : अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कल शुक्रवार को एच-1बी वर्क वीजा धारकों पर एक लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 88 लाख रुपये) की अतिरिक्त फीस लगाने का फैसला करते हुए नया प्रावधान लागू किये जाने की खबर है. यह आदेश 21 सितंबर 2025 की आधी रात (12:01 बजे) से लागू होना है.
Spotlight on IT companies as Trump imposes USD 100,000 fee for H1B visas
— ANI Digital (@ani_digital) September 20, 2025
Read story @ANI: https://t.co/TQNDqIc0QD#IT #Trump #H1B pic.twitter.com/kWhZOGZVV6
Tech giants urge H-1B holders to stay in US after Trump's visa overhaul, ask those abroad to return to US
— ANI Digital (@ani_digital) September 20, 2025
Read @ANI Story |https://t.co/eKfaqJ7KLA #TechGiants #H1BVisa #US #Trump pic.twitter.com/3T5kdHOMX8
डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1बी वीजा आवेदन पर 1,00,000 डॉलर की फीस लगाने संबंधी सरकारी आदेश पर साईन करते हुए कहा कि एच-1बी कार्यक्रम का दुरुपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है. इस फैसले के तहत उन कर्मचारियों के अमेरिका में प्रवेश पर रोक लग जायेगी, जिन्होंने एच1बी आवेदन के साथ 100,000 अमेरिकी डॉलर जमा नहीं किये होंगे.
ट्रंप का यह फैसला भारतीय पेशेवरों भारी पड़ने वाला है, क्योंकि सर्वाधिक संख्या में एच-1बी वीजा धारक भारत से अमेरिका जाते हैं. ट्रंप के फैसले को लेकर इमिग्रेशन अटॉर्नी और टेक कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को चेतावनी दी है कि वे तुरंत अमेरिका लौटें. कहीं ऐसा न हो कि कर्मचारियों प्रवेश पर रोक लग जाये और आप फंस जायें.
दरअसल माइक्रोसॉफ्ट का एक आंतरिक ईमेल सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस ईमेल में कंपनी ने अपने एच-1बी वीजा धारक कर्मचारियों और उनके आश्रितों (H-4 वीजा) को निर्देश दिया है कि वे अमेरिका से बाहर न जायें और जो बाहर हैं वे तुरंत लौट जायें. ईमेल में कर्मचारियों को फिलहाल अमेरिका में ही रहने की सलाह दी गयी है .
न्यूयॉर्क स्थित प्रसिद्ध इमिग्रेशन अटॉर्नी साइरस मेहता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर सलाहदी है कि जो भी एच-1बी वीजा धारक वर्तमान में अमेरिका से बाहर किसी भी कारण से हैं, यदि वे 21 सितंबर की आधी रात से पहले लौट नहीं पाये तो फंस जायेंगे.
यह सच है कि बड़ी संख्या भारतीयों की है जो एच-1बी वीजा धारक हैं. टेक सेक्टर में काम कर रहे इन हजारों भारतीय कर्मचारियों के समक्ष संकट मुंह बाये खड़ा है. खबर है कि टेक कंपनियां ऐसे कर्मचारियों को प्राथमिकता देंगी, जो ट्रंप का आदेश लागू होने से पूर्व अमेरिका लौट जायें
हालांकि ट्रंप का फैसला अमेरिका के कई लोगों को रास नहीं आया है. कैटो इंस्टीट्यूट के इमिग्रेशन स्टडीज निदेशक डेविड बियर ने ट्रंप प्रशासन पर हमलावर होते हुए कहा, भारतीय एच-1बी वर्कर्स अमेरिका में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं.
कहा कि भारतीयों ने सैकड़ों अरब डॉलर को योगदान टैक्स के रूप में, फीस के रूप में और सेवाओं के रूप दिया है, फिर भी उन्हें बदले में क्या मिला रहा है? सिर्फ भेदभाव और नफरत मिल रही है. ट्रंप उन्हें अपराधी और नौकरी चोर के रूप में पेश कर रहे हैं. यह अन्याय है और अमेरिका के हितों के खिलाफ है.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment