LagatarDesk : माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर का विवादों से पुराना नाता है. एक बार फिर विवादों में फंसने को लेकर यह चर्चा में है. अब अमेरिका में ट्विटर पर 15 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगा है. यह जुर्माना ट्विटर यूजर्स को धोखे में रखने और 2011 के एफटीसी आदेश और गोपनीयता समझौते का उल्लंघन करने के लिए लगाया गया है. न्याय विभाग और संघीय व्यापार आयोग ने ट्विटर यूजर के आंकड़ों की सुरक्षा के लिए नये मानक तैयार करने को कहा है. (पढ़े, राष्ट्रीय खेल घोटाला मामला : दूसरे दिन भी सीबीआई की छापेमारी जारी)
यूजर्स से जुड़ी जानकारी ट्विटर ने नहीं रखा गोपनीय
न्याय विभाग और संघीय व्यापार आयोग, अमेरिका का आरोप है कि ट्विटर ने झूठा दावा किया कि उसने यूरोपीय संघ और स्विट्जरलैंड के साथ अमेरिकी गोपनीयता समझौतों का अनुपालन (compliance) किया है. लेकिन ट्विटर ने मई 2013 से सितंबर 2019 तक यूजर्स से जुड़ी जानकारी को गोपनीय नहीं रखा और उसे विज्ञापन भेजने के लिए कंपनियों को दिया.
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यूजर्स को जानकारी का अधिकार
ट्विटर ने यूजर को कहा था कि अकाउंट की सुरक्षा के लिए कंपनी फोन नंबर और ईमेल रख रही है. लेकिन इसका इस्तेमाव कंपनियों को प्लेटफॉर्म पर यूजर्स को टारगेटेड ऑनलाइन विज्ञापन भेजने में किया गया. अमेरिकी अटॉर्नी स्टेफनी हिंड्स ने इसको लेकर अपनी राय रखी. हिंड्स ने कहा कि यूजरों को यह जानने का अधिकार है कि उनकी निजी जानकारी का उपयोग विज्ञापनदाताओं को ग्राहकों को लक्षित करने में मदद करने के लिए किया जा रहा है.
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कोरोना काल में फेक न्यूज की संख्या में हुई बढ़ोतरी
बता दें कि पिछले कुछ सालों में फेक न्यूज की संख्या में इजाफा हुआ है. रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोनाकाल में सोशल मीडिया पर फेक न्यूज 900% तक बढ़ गयी. फेसबुक पर मार्च और अप्रैल 2020 में हर महीने 4-5 करोड़ गलत सूचनाओं वाली पोस्ट की गयी. ट्विटर पर 15-20 लाख अकाउंट सिर्फ फेक न्यूज फैलाते रहे. यही नहीं यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया की स्टडी कहती है कि 30 मिनट से ज्यादा सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले ‘अकेलेपन’ की समस्या का भी शिकार हो रहे हैं.
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