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Ranchi : झारखंड में कोरोना की दूसरी लहर ने कई परिवार को तबाह कर दिया है. अब तो कई ऐसे परिवार हैं, जिनके घर में एक सदस्य के अलावा कोई नहीं बचा है. राजधानी रांची में भी कई ऐसे परिवार हैं, जिनके एक से अधिक सदस्यों ने इस महामारी में जान गंवा दिये हैं. सिंहमोड़ और बिरसा चौक क्षेत्र में कोरोना संक्रमण ने दो दंपति को लील लिया. यह हृदय विदारक घटना सामने आयी है.
जान गंवाने वाले कई अपने परिवार के मुखिया थे. कई एकमात्र कमाऊ सदस्य थे. कुछ परिवारों में किसी की मां तो किसी की पत्नी तो किसी के पिता की जान गयी. सिंहमोड़ के मंगलम अपार्टमेंट में रहने वाले रिटायर पीडब्लयूडी कर्मी राम सुंदर राम,65 और पत्नी बबीता देवी,60 की मौत कोरोना संक्रमण से हो गयी. अब घर में कोई नहीं है. 15 अप्रैल को राम सुंदर राम की मौत इलाज के दौरान हो गयी.
दो दिनों बाद 17 अप्रैल को बबीता देवी भी बीमार पड़ गयी. वह घर में अकेली थी. उनकी मौत 21 अप्रैल की रात में हो गयी. उनकी मौत की जानकारी किसी को नहीं मिली. पड़ोस के लोगों ने बबीता देवी के संबंधी राजेश रजक को जानकारी दी. तब बबीता देवी का अंतिम संस्कार आस पड़ोस के लोगों ने किया. घाट पर बबीता देवी को मुखाग्नी देने वाला अपना कोई नहीं था.
बेटे को नहीं दी गयी जानकारी, प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है इलाज
राम सुंदर राम का एक पुत्र अमन राम, 24वर्ष है. वह ओडिशा में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था. पिता के स्वर्गवास होने की सूचना मिलते ही वह रांची पहुंचा. पड़ोसियों के साथ मिलकर पिता का अंतिम संस्कार किया. तभी 17 अप्रैल को पता चला कि मां भी कोरोना संक्रमित हो गई है. अमन राम को रातू रोड में रहने वाले संबंधी अपने साथ ले गए. वहां जाकर अमन भी बीमार पड़ गया. जिसका इलाज शहर के एक प्राइवेट अस्पताल में चल रहा है. मां के मौत की सूचना अमन को अबतक नहीं दी गयी है.
पती-पत्नी दोनों की हो गयी मौत, बेटों ने पड़ोसियों से मांगी मदद
बिरसा चौक के नजदीक हवाई नगर क्षेत्र के अर्पाटमेंट में सूर्य कांत सिंह,55 वर्ष और पत्नी रौशनी देवी,49 वर्ष रहती थी. 18 अप्रैल को सूर्य कांत सिंह और 20 अप्रैल को रौशनी देवी की मौत हो गयी. पत्नी की मौत के बाद रौशनी देवी फ्लैट में अकेले रह रही थी. उनकी मौत किसी दिन हुई, यह किसी को नहीं पता. फ्लैट में रह रहे अशोक ने बताया कि रौशनी देवी के फ्लैट में कोई गतिविधि नहीं पायी गयी. तब दरवाजा खटखटाया गया. कोई रिस्पांश नहीं मिलने पर दरवाजा खोला गया, तो रौशनी देवी अपने बेड पर पड़ी हुई थी. उनकी मौत कब और किस दिन हुई, यह भी पता नहीं चला.
आपाधापी में उनकी बॉडी का अंतिम संस्कार पड़ोसियों ने घाट पर किया. पिता की मौत की सूचना अमेरिका में रह रहे बेटे रोहित को दी गयी. रोहित ने आने में असमर्थता जताते हुए पड़ोसियों से मदद मांगी. अंतिम समय में सूर्य कांत सिंह और रौशनी देवी को घाट तक कंधा देकर सीठियों घाट पड़ोसियों ने ही पहुंचाया. फिर अंतिम संस्कार किया.
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