Gaurav Prakash
Hazaribagh : कहते हैं कि कुछ करने का जज्बा हो, तो आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता और मेहनत से मंजिल मिल ही जाती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है मुकेश कुशवाहा ने. हजारीबाग के जबरा निवासी मुकेश बनना तो चाहते थे शिक्षक, लेकिन परिस्थिति ने उन्हें सफल किसान बना दिया. दो साल पहले राजनीतिक विज्ञान से बीए और उसके बाद बीएड की डिग्री लेनेवाले मुकेश आज परंपरागत बैंगन की खेती कर रहे हैं. साथ ही इसमें बढ़िया मुनाफा भी हो रहा है. अब वह कहते हैं कि शायद शिक्षक बन इतने पैसे नहीं कमा पाते, जो हुआ वह उनकी बेहतरी के लिए ही हुआ.
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ग्रामीण बच्चों को देना चाहते थे तालीम
मुकेश की तमन्ना थी कि गांव के शिक्षक ने उन्हें तालीम देकर आगे बढ़ाया, तो वह भी शिक्षक बन गांव में जाकर बच्चों को पढ़ाएं. इसी सोच के साथ उन्होंने बीएड की डिग्री ली. लेकिन सरकारी नौकरी हाथ नहीं लगी और वह परेशान हो गए. कई साल तक सरकारी स्कूलों की नौकरी के लिए विज्ञापन नहीं निकला. दूसरी ओर उम्र भी बढ़ती चली गई. घर में पैसे की आवश्यकता थी और जिम्मेवारी भी. ऐसे में उन्होंने हजारीबाग कोर्रा रोड में लगभग 20 कट्ठे का प्लॉट लीज में लिया. उस जमीन में उन्होंने बैगन की खेती शुरू की. जमीन में बैंगन की बेहतर उपज हुई. फसल तैयार होने के बाद अब मार्केट में उसे बेचने की तैयारी चल रही है. आलम यह है कि व्यापारी उनके खेत तक पहुंच रहे हैं और उन्हें मुंह मांगी कीमत भी दे रहे हैं. एक सप्ताह में वह लगभग 1500 क्विंटल बैंगन बेच चुके हैं. उनका कहना है कि खेती में उन्हें मुनाफा हुआ है और वह अपने घर-परिवार का लालन-पालन खेती से ही करने का विचार बना चुके हैं.
बयां की पीड़ा, योग्यता के बावजूद नहीं मिल रही नौकरी
उनका कहना यह कि दु:ख की बात है कि योग्यता होने के बाद भी नौकरी नहीं मिल रही है. भले ही वह आज आत्मनिर्भर कहला रहे हैं, लेकिन यह उनके जीवन का दुखदाई पहलू है. जब नौकरी हाथ न लगे फिर दूसरा रोजगार करें और खुद को आत्मनिर्भर कहें, तो यह बेमानी है. यह उनकी मजबूरी है कि वह अपने परिवार के लिए खेती कर रहे हैं.
खेत में पहुंच रहे बिहार-बंगाल के खरीदार
मुकेश कुशवाहा के खेत में बिहार-बंगाल से खरीदार पहुंच रहे हैं. खरीदार भी कहते हैं कि मुकेश बड़ी मेहनत से खेती कर रहे हैं. चूंकि वह पढ़े-लिखे हैं, इस कारण उन्नत ढंग से खेती कर रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि खेती में उन्होंने ऑर्गेनिक खाद का उपयोग किया है. इस कारण भी फसल काफी अच्छी हुई है और मांग भी ठीक है. वे लोग इस बैंगन को बिहार-बंगाल में सप्लाई करते हैं और यह कोलकाता से होते हुए दूसरे महानगर तक पहुंच रहा है. वह एक अच्छे किसान भी हैं.
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