Ranchi: वित्तीय सहित अन्य कारणों से चर्चा में रहने वाले नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति फिर से चर्चा में हैं. इस बार उनकी चर्चा होने की वजह दीक्षांत समारोह का शाही खर्च है. बताया जाता है कि छह अक्तूबर को आयोजित दीक्षांत समारोह पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं.
इस बीच दो विश्वविद्यालयों के वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) द्वारा अपने पद से त्यागपत्र देने पर कई तरह की अटकलें लगायी जा रही है.
नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय में छह अक्तूबर को दीक्षांत समारोह आयोजित किया गया था. इस आयोजन पर मनमाने तरीके से खर्च करने पर विवाद कायम है. बताया जाता है कि दीक्षांत समारोह पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं.
खर्च के इस मामले में कई तरह की चर्चा चल रही है. इसमें यह कहा जा रहा कि दीक्षांत समारोह के आयोजन का खर्च बाजार भाव के हिसाब से कई गुना ज्यादा है. पैसों के मामले में दिनेश सिंह पहले से विवादों के घेरे में रहे हैं. इससे दीक्षांत समारोह पर हुए खर्च पर उठ रहे सवालों को बल मिल रहा है. दिनेश सिंह को विनोबा भावे विश्वविद्यालय और रांची विश्वविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार था.
प्रभारी कुलपति के रूप में उनका कार्यकाल पैसों के मुद्दे पर विवादित रहा है. विनोबा भावे विश्वविद्यालय में उन्होंने गेस्ट हाउस के Renovation के लिए करीब दो करोड़ रुपये के खर्च का प्रस्ताव तैयार किया था.
हालांकि पहले से ही सुसज्जित गेस्ट हाउस पर खर्च के इस प्रस्ताव के सिलसिले में पहले की फाइल मांगे जाने के बाद उनकी इच्छा के अनुरूप Renovation का काम नहीं हुआ. उन्होंने मैनवापर सप्लाई के लिए बिना आवश्यक प्रक्रिया पूरी किये ही टेंडर प्रकाशित करवा दिया था. जिसे बाद में रद्द कर दिया गया.
रांची विश्वविद्यालय में प्रभारी कुलपित के रूप में काम करने के दौरान उन्होंने खूंटी के एक कॉलेज के प्राचार्य पर एक व्यक्ति को फर्नीचर सप्लाई का ऑर्डर देने के लिए दवाब डाला था. इन मामलों की शिकायत मिलने केर बाद राज्यपाल ने उन्हें रांची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के पद से हटा दिया.
नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय में भी उन्होंने वित्तीय नियमों का उल्लंघन कर जेम पोर्टल पर कंप्यूटर खरीद के लिए विज्ञापन प्रकाशित कराया. नियमानुसार, सामग्रियों की खरीद के मामले में वित्तीय सहमति के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू करने का नियम है.
लेकिन उन्होंने बिना वित्तीय सहमति के ही कंप्यूटर खरीदने के लिए जेम पोर्टल पर विज्ञापन प्रकाशित किया. बताया जाता है कि सामग्रियों की खरीद के मामले में कुलपति और Financial Advisor के बीच गहरा मतभेद था. इसके बाद ही FA ने अपने पद से त्यागपत्र दिया. हालांकि उन्होंने निजी कारणों से त्यागपत्र देने का उल्लेख किया.
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