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थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर हिंसक झड़पें जारी, भारतीय दूतवास ने जारी की एडवाइजरी

New Delhi :   थाईलैंड और कंबोडिया के बीच गुरुवार से शुरू हुई हिंसक झड़पें थमने का नाम नहीं ले रही है. इन झड़पों में अब तक कम से कम 27 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोगों को पलायन के लिए मजबूर होना पड़ा है. कंबोडियाई अधिकारियों के अनुसार, अब तक कंबोडिया के 15 नागरिकों की मौत हो चुकी है, जबकि थाईलैंड के स्वास्थ्य मंत्री के अनुसार, संघर्ष में 12 थाई नागरिकों की भी जान जा चुकी है.

 

थाईलैंड और कंबोडिया में बढ़ते तनाव के बीच नोम पेन्ह स्थित भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए एडवाइजरी जारी की है. दूतावास ने भारतीयों से आग्रह किया है कि वे सीमावर्ती क्षेत्रों की यात्रा से बचें और स्थिति सामान्य होने तक सतर्क रहें. 

 

दूतवास की ओर से भारतीय नागरिकों के लिए इमरजेंसी नंबर और ईमेल आईडी भी जारी किया गया है. भारतीय दूतावास ने कहा कि  किसी भी आपात स्थिति में भारतीय नागरिक नोम पेन्ह स्थित भारतीय दूतावास से +855 92881676 पर संपर्क कर सकते हैं या cons.phnompenh@mea.gov.in पर ईमेल कर सकते हैं.

 


दूतावास ने कहा है कि यदि कोई भारतीय नागरिक इन क्षेत्रों में फंसा हुआ है या किसी प्रकार की सहायता की आवश्यकता है, तो तुरंत संपर्क करें. साथ ही, यात्रा करने से पहले स्थानीय समाचारों और दूतावास की ताजा सूचनाओं पर नजर रखें.

 

 

थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित हिंदू मंदिर विवाद का कारण

दरअसल दोनों देशों के बीच जारी सीमा विवाद का कारण एक हिंदू मंदिर है, जिसमें मुख्य देवता के रूप से भगवान शिव विराजमान हैं. थाईलैंड टूरिज्म के आधिकारिक पोर्टल में थाईलैंड-कंबोडिया सीमा पर स्थित यह मंदिर प्रसात टा मुएन थोम के रूप में जाना जाता है. 

 

यह पुरातात्विक स्थल है. प्रसात टा मुएन थोम सहित दो अन्य धार्मिक स्थलप्रसात टा मुएन और प्रसात टा मुएन टोट है. यह तीनों स्थल थाईलैंड-कंबोडिया विवाद के केंद्र में हैं. अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मंदिरों की रक्षा के लिए तत्काल युद्धविराम की मांग की है. 
 

प्रसात टा मुएन थॉम मंदिर को 12वीं शताब्दी के आसपास सम्राट उदयादित्यवर्मन द्वितीय ने हिंदू मंदिर के रूप में बनवाया था. यह मंदिर प्रसात टा मुएन टोट से लगभग 800 मीटर दक्षिण में स्थित है. इस मंदिर में भगवान शिव सर्वोच्च देवता के रूप में विद्यमान हैं. 

 

1907 में बने नक्शे में मंदिर में कंबोडिया का हिस्सा , पर थाईलैंड ने किया इनकार

जान लें कि मंदिर भौगोलिक रूप से थाईलैंड और कंबोडिया की सीमा पर स्थित है. मंदिर का मुख्य प्रवेश द्वार थाईलैंड की ओर है, लेकिन वह कंबोडिया की भौगोलिक सीमा में आता है. दरअसल फ्रांसीसी उपनिवेश काल में 1907 में कंबोडिया के लिए एक नक्शा तैयार किया गया था, उसमें मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा करार दिया गया था. हालांकि थाईलैंड इस नक्शे को गलत बताते हुए मान्यता देने का तैयार नहीं है.

 

1962 में ICJ ने भी मंदिर को कंबोडिया का बताया

हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने 1962 में फैसला दिया था कि यह मंदिर कंबोडिया का है. थाईलैंड ने इस फैसले को मान लिया,, लेकिन मंदिर के आसपास की 4.6 वर्ग किमी जमीन को लेकर विवाद बना रहा.  यूनेस्को ने 2008 में इस मंदिर को विश्व धरोहर घोषित कर दिया.थाईलैंड ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इससे कंबोडिया का दावा मजबूत होता है. 2008 से 2011 के बीच मंदिर क्षेत्र को लेकर कई बार थाईलैंड और कंबोडिया की सेनाओं के बीच गोलीबारी और झड़पें हो चुकी हैं.  

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