Ranchi: झारखंड स्टेट बार काउंसिल के सख्त निर्देश के बाद पिछले लगभग 22 दिनों से झारखंड के अधिवक्ता न्यायिक कार्यों से दूर हैं. ऐसे में वकीलों की प्रैक्टिस पर लगा लॉकडाउन कब खुलेगा इसका इंतज़ार सिर्फ अधिवक्ता समुदाय ही नहीं बल्कि वैसे लोग भी कर रहे हैं, जिनपर या तो गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है या फिर अदालत की शरण में जाने के अलावा उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
स्टेट बार काउंसिल की जीबी में कार्य बंद करने का निर्णय लिया गया है, लेकिन कार्य कब से शुरू करना है, इसका निर्णय काउंसिल ने जिला बार एसोसिएशन को दे दिया है.इससे मामला थोड़ा और उलझता हुआ दिख रहा है क्योंकि अगर कोई जिला बार अपने कार्यालय को खोलता या वहां के वकीलों को कार्य करने की इजाजत देता है तो उस जिले के अधिवक्ता दूसरे जिलों में भी केस फाइल करने या केस लड़ने के लिए स्वतंत्र होंगे वैसी परिस्थिति में वकीलों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होने से भी इंकार नहीं किया जा सकता.
17 मई तक किसी भी कोर्ट में हाजिर न होने का निर्देश
झारखंड में स्टेट बार काउंसिल द्वारा सख्त हिदायत के साथ वकीलों को यह निर्देश दिया गया है कि 17 मई तक किसी भी न्यायालय में उपस्थित न हों. इसके साथ ही राज्य के सभी जिला एवं अनुमंडल बार एसोसिएशन को किसी भी परिस्थिति में बार भवन नहीं खोलने का भी निर्देश दिया गया है. काउंसिल का यह निर्देश वकीलों के बीच कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से एहतियातन लिया गया है और इसका काफी हद तक फायदा भी दिखा. लेकिन अब काउंसिल की ये पाबंदी वकीलों के लिए घातक साबित हो रही है, क्योंकि जायदातर वकील ऐसे हैं जो वकालत से ही अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं.
रांची जिला बार एसोसिएशन के प्रशासनिक सचिव पवन खत्री के मुताबिक पिछले लगभग 1 वर्ष से ज्यादा समय से राज्य की पूरी न्याय व्यवस्था वर्चुअल मोड़ पर चल रही है और इसका कुछ हद तक बुरा असर वकीलों की जेब पर पड़ा है. पवन खत्री ने काउंसिल से आग्रह किया है कि जिला बार एसोसिएशन सभी बिन्दुओं का आकलन करने के बाद ही वकीलों को कार्य करने की इजाजत दे ताकि और साथी वकीलों की जान जाने से बचाया जा सके.