New Delhi : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज पूर्व आईएएस अधिकारी आशुतोष अग्निहोत्री द्वारा लिखित पुस्तक मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं... के विमोचन किया. उन्होंने इस अवसर पर कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों के प्रशिक्षण में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है.
#WATCH | Delhi | "A radical change is needed in the training of administrative officers... Rarely are they trained to introduce empathy in our system. Maybe because the British era inspired this training model. I believe that if any ruler or administrator rules without empathy,… pic.twitter.com/NQslKsEJUh
— ANI (@ANI) June 19, 2025
अमित शाह ने कहा कि शायद ही कभी उन्हें हमारी व्यवस्था में सहानुभूति लाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है. अमित शाह ने कहा कि शायद ऐसा इसलिए है, क्योंकि ब्रिटिश काल ने इस प्रशिक्षण मॉडल को प्रेरित किया था. मेरा मानना है कि अगर कोई शासक या प्रशासक बिना सहानुभूति के शासन करता है, तो वह शासन के वास्तविक उद्देश्य को पा नहीं सकता.
अमित शाह ने कहा कि जब परिवर्तन एक जन आंदोलन बन जाता है, तो यह एक क्रांति बन जाता है. आज हम अपने देश में यह बदलाव देख सकते हैं. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने 1975 में एक कविता लिखी थी. उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें...जो पाया उसमें खोया न जाये, जो खोया उसका ध्यान करें.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यदि आप आज भारत के परिवर्तन को देखें, तो इस व्यक्ति ने 1975 में इस विचार का बीज बोया था. मुझे विश्वास है कि 2047 तक परिवर्तन की हमारी यात्रा हमारे देश का गौरव वापस लायेगी. जब हमारा देश घोर अंधकार के युग में डूबा हुआ था, तब भी साहित्य ने हमारे धर्म, स्वतंत्रता और संस्कृति के दीप जलाये रखे.
इस अवसर पर अमित शाह ने भारतीय भाषाओं के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भारत में लोग अंग्रेजी बोलने पर शर्मिंदगी महसूस करेंगे. उन्होंने भारतीय भाषाओं को देश की संस्कृति के रत्न बताते हुए कहा कि ये भाषाएं हमारी पहचान का अभिन्न हिस्सा हैं. इनके बिना हम भारतीय नहीं कहला सकते.
शाह ने कहा कि मानता हूं कि हमारे देश की भाषाएं, हमारा गहना है. इनके बिना हम भारतीय नहीं हैं. आप किसी विदेशी भाषा में अपने इतिहास, संस्कृति और धर्म को नहीं समझ सकते.अमित शाह ने कहा कि देश में अंग्रेजी बोलने वालों को जल्द ही शर्म आयेगी, ऐसे समाज का निर्माण दूर नहीं है.
अमित शाह ने कहा कि जब सरकार बदली, तो किसी ने इसका विरोध नहीं किया. लेकिन जब भी किसी ने हमारे धर्म, संस्कृति को छूने की कोशिश की, उसे जवाब मिला.