- रांची में हर माह 1650 होते हैं शिकार
- रांची में हर माह औसतन लगाये जाते हैं 4910 रेबीज के टीके
- एक स्वास्थय, शून्य मृत्यु इस साल की थीम
Saurav Kumar Shukla
Ranchi : रांची में बड़ी संख्या में लोग कुत्ता काटने के शिकार हो रहे हैं. हर माह रांची में करीब 1650 लोगों को कुत्ते अपना शिकार बना रहे हैं. एक व्यक्ति को करीब तीन डोज लगाये जाते हैं. इस तरह लोगों को हर माह औसतन 4910 रेबीज के टीके लगाये जा रहे हैं. पिछले पांच महीने में 24511 मरीजों को डोज लगाये गये हैं. सदर अस्पताल में हर दिन एंटी रेबीज के डोज लेने के लिए लोग पहुंचते हैं. सिविल सर्जन डॉ प्रभात ने बताया कि रांची ही नहीं पूरे झारखंड में रेबीज को लेकर जागरुकता बढ़ी है. बड़ी संख्या में लोग एंटी रेबीज का डोज लेने पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि बहुत कम पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कुत्ता काटने और सांप काटने पर झाड़ फूंक कराते हैं. (पढ़ें, पंजाब : कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा गिरफ्तार, NDPS एक्ट के तहत कार्रवाई)
रांची में 24 घंटे के अंदर रेबीज टीका लेने पहुंचते हैं लोग
डॉ प्रभात ने रांची के मामले में बताया कि अधिकतर लोग पहला डोज लेने के लिए 24 घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचते हैं. कई ऐसे लोग भी हैं, जो काटने के बाद कई तरह के घरेलू उपचार करने के बाद अस्पताल पहुंचते हैं. ऐसे मामलों में इंफेक्शन की संभावना बढ़ जाती है. चिकित्सकों ने बताया कि घाव के वायरस को जल्द से जल्द हटाना जरूरी है. इसके लिए घाव को तुरंत पानी और साबुन से धोना चाहिए और इसके बाद एंटीसेप्टिक का उपयोग करना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार के संक्रमण की संभावना को कम किया जा सके.
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जानलेवा रोग है रेबीज
रेबीज एक विषाणुजनित संक्रामक बीमारी है. यह वायरस संक्रमित पशुओं के काटने और खरोंचने से मनुष्यों में फैलता है. यह एक जानलेवा रोग है. बीएयू के डीन वेटनरी डॉ सुशील ने बताया कि रेबीज का वायरस रेबीज से पीड़ित जानवरों जैसे- कुत्ता, बिल्ली, बंदर आदि की लार में मौजूद रहता है. आंकड़ों के अनुसार, मनुष्यों के लगभग 99 प्रतिशत मामलों में रेबीज की मुख्य वजह कुत्ते का काटना होता है. डॉ सुशील प्रसाद ने बताया कि झारखंड में हर वर्ष 50 से ज्यादा मौतें कुत्ते के काटने से होती है. इसका इलाज बहुत महंगा है और रेबीज के टीके लगाने पर गुर्दों पर भी बुरा असर पड़ता है. जागरुकता की कमी और अक्सर चिकित्सा सुविधाओं के अभाव की वजह से लोगों की मृत्यु होती है.
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मांसाहारी कुत्तों को दूध रोटी खिलायेंगे तो वे करेंगे हमला
विशेषज्ञों के अनुसार, कुत्तों के फूड हैबिट का ध्यान रखें. मांसाहारी कुत्ते को अगर दूध-रोटी खिलायेंगे, तो वे ज्यादा हमला कर सकते हैं. बॉडी वेट के हिसाब से ही खाना दें. प्रतिदिन सुबह-शाम कम से कम एक-एक घंटे वर्कआउट करायें. घर में रखना है, तो फैमिली डॉग ही रखें. कोई भी कुत्ता हो, गले में बेल्ट या पट्टा जरूर लगायें. नियमित वैक्सीनेशन जरूर करायें. इससे आक्रमकता कम होती है. कई बार समय पर मेटिंग नहीं कराने पर भी कुत्तों में आक्रामता बढ़ जाती है. ट्रेनर इसे हीट फीवर कहते हैं. उस समय उनकी शरीर की जरूरत को पूरा करना जरूरी होता है.
महीने में इतने मरीजों को लगा एंटीरैबीज डोज
- अप्रैल – 4958
- मई – 5270
- जून – 4927
- जुलाई – 4755
- अगस्त- 4601
वेटनरी कॉलेज में पालतू पशुओं का नि:शुल्क टीकाकरण
बीएयू के वेटनरी कॉलेज में गुरुवार को रेबीज बीमारी पर जागरुकता अभियान, पालतू पशुओं का नि:शुल्क टीकाकरण, पालतु पशुओं की नि:शुल्क स्वास्थ्य जांच, कृमिनाशक दवा का वितरण व वेटनरी दवाओं की प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण होंगे. टीकाकरण शिविर कॉलेज के क्लिनिकल कॉम्प्लेक्स विभाग में सुबह 10 बजे से दिन 12 बजे तक चलेगा.
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