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ठंड में बस स्टॉप पर ठिठुरते नन्हें छात्र और अभिभावकों का सिस्टम से सवाल

फाइल फोटो

Ranchi: शहर में कड़ाके की सर्दी ने लोगों की दिनचर्या बदल दी है. सड़कों पर वाहनों की रफ्तार धीमी, बाजार देर से खुल रहे, दफ्तरों में पहुंचने का समय लचीला हो गया है. लेकिन एक वर्ग है, जिसपर मौसम का सबसे कम रहम हुआ है - स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे.

 

जब पूरा शहर ठंड की मार से बचने के लिए देर तक घर में दुबका रहता है, उसी समय नन्हें विद्यार्थी बस स्टॉप पर जमा देने वाली हवा में खड़े मिल जाते हैं. सुबह 6 बजे का अंधेरा, बर्फीली हवा और ठिठुरते बच्चे यह दृश्य अब रांची की रोजमर्रा की तस्वीर बन चुकी है. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाये गये हैं. अमूमन रांची में ठंड बढ़ते ही छोटे बच्चों की स्कूल ऑनलाइन चलायी जाने लगती है. जिला प्रशासन भी इसे लेकर आदेश जारी कर देता है. लेकिन इस हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद भी तक कोई आदेश जारी नहीं हुआ है.  

 

अभिभावकों का कहना है कि विडंबना यह है कि ठंड बढ़ने पर सबसे पहले स्कूल समय बदलने की जरूरत होती है, पर इस बार वही कदम सबसे आखिर में सोचा जा रहा है. शहर में कई स्कूल सुबह की शिफ्ट को जस का तस चला रहे हैं, जबकि बच्चे तापमान गिरने का ‘साइलेंट असर’ झेल रहे हैं.

 

कई पेरेंट्स का कहना है कि बच्चों के स्वास्थ्य पर भी इसका असर दिख रहा है. बच्चे खांसी-जुकाम, बुखार का शिकार हो रहे हैं, लेकिन स्कूल की सख्त उपस्थिति नीति ने अभिभावकों को दोराहे पर खड़ा कर दिया है. विकल्प वही है या तो बीमारी के बावजूद भेजो, या अनुपस्थिति का बोझ उठाओ.

 

अभिभावकों का कहना है कि यह सिर्फ मौसम की चुनौती नहीं बल्कि व्यवस्था की संवेदनहीनता है. ठंड का कैलेंडर हर साल एक जैसा है… फिर तैयारी में देरी क्यों? लोगों के बीच यही सवाल गूंज रहा है.


वहीं लगातार संवाददाता ने इसे लेकर कुछ स्कूलों के प्रिंसिपल से बात की तो उन्होंने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि जब तक जिला प्रशासन की ओर से ऑर्डर नहीं आता तो कोई कदम कैसे उठाया जाए. साथ ही कहा कि छोटे बच्चों की परेशानी उन्हें भी दिखती है. मगर वो भी अब आदेश का ही इंतजार कर रहे हैं.


कुछ स्कूल के प्रिंसिपल ने बताया कि टाइम तो बढ़ाया गया है पर स्कूल बसों की टाइम को मैनेज भी करना होता है, जिससे बच्चों को घर से ज्यादा पहले निकलना पड़ता है. स्कूल ऑनलाइन करने के सवाल पर इनका भी जवाब जिला प्रशासन के आदेश का इंतजार करना ही बताया गया.

    

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