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विधानसभा घेराव में युवाओं का हल्ला बोल, स्थानीय व नियोजन नीति पर झारखंड सरकार को अंतिम चेतावनी

Ranchi: झारखंड जनाधिकार महासभा के आह्वान पर मंगलवार को राज्यभर से हजारों युवा विधानसभा के पास जुटे और सरकार के खिलाफ जोरदार धरना दिया. युवाओं ने कहा कि अब संघर्ष सिर्फ रोजगार का नहीं बल्कि झारखंड की पहचान, सम्मान और अधिकार का है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया कि स्थानीय नीति और नियोजन नीति कब बनेगी और चुनाव के समय किए गए वादे कब पूरे होंगे.

 

युवाओं ने आरोप लगाया कि रघुवर दास सरकार की जनविरोधी स्थानीयता नीति अब भी लागू है और हेमंत सरकार के छह साल बीत जाने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया. नियोजन प्रक्रिया में अस्पष्टता, बार-बार परीक्षाओं का रद्द होना और नियुक्ति में देरी से युवाओं का विश्वास सरकार से उठ गया है.

 

प्रदर्शन में आए वक्ताओं ने झारखंड की बदहाली का विस्तृत ब्यौरा पेश किया. बेरोजगारी दर 17 प्रतिशत से अधिक है, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुना है. हर साल लाखों युवा रोजगार की तलाश में दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु पलायन कर रहे हैं. 


JSSC-CGL की जनवरी और सितंबर 2024 की परीक्षाएं पेपर लीक के कारण रद्द हुईं और हाईकोर्ट में CBI जांच की मांग के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई. उत्पाद सिपाही भर्ती नियमावली बदलने से ठप हो गई और इसमें 12 अभ्यर्थियों की मौत हो चुकी है.

 

शिक्षा व्यवस्था की हालत यह है कि 7,900 से अधिक प्राथमिक विद्यालयों में केवल एक-एक शिक्षक हैं, जहां 3.8 लाख बच्चे पढ़ते हैं. 17,850 शिक्षक पद रिक्त हैं और उच्च शिक्षा संस्थानों में 2008 से नियमित फैकल्टी नियुक्ति नहीं हुई. 4,000 से अधिक शिक्षकों और कर्मचारियों के पद खाली हैं. निजी कंपनियों में भी झारखंडियों को सिर्फ 21 प्रतिशत रोजगार मिला है.

 

धरने में युवा नेत्री रिया तूलिका ने कहा कि चुनाव के समय झामुमो और कांग्रेस ने रोजगार और शिक्षा सुधार का वादा किया था. लेकिन सरकार बनने के बाद कुछ नहीं हुआ. अजय एक्का ने बताया कि सरकार ने चार साल में 2.07 लाख नौकरियां खत्म कर दीं और 2022 से पहले 5.33 लाख स्वीकृत पद घटकर 2025 तक 3.27 लाख रह गए हैं, जिनमें सिर्फ 1.68 लाख पर ही लोग कार्यरत हैं. दीपक रंजीत ने कहा कि सरकार युवाओं के साथ धोखा कर रही है. 


दीप्ति मिंज ने कहा कि समय पर वेकेंसी नहीं आती और आती है तो पेपर लीक हो जाता है, जिससे पलायन बढ़ रहा है. मनोज भुंइया ने कहा कि सरकार सोई हुई है और युवाओं की चिंता किसी को नहीं है.


महासभा की ओर से मुख्यमंत्री के नाम पत्र सौंपकर प्रमुख मांगें रखी गईं. रघुवर सरकार की नीति को रद्द कर मूलगांव आधारित स्थानीय नीति बनाई जाए, स्थायी नियोजन नीति लाई जाए, सभी रिक्त पदों पर झारखंडियों को प्राथमिकता दी जाए, आरक्षण बढ़ाया जाए, शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त किया जाए और भूमिहीन दलित आदिवासियों को जमीन व प्रमाण पत्र उपलब्ध कराने के लिए शिविर लगाए जाएं.

 

युवाओं ने कहा कि यह धरना सरकार के लिए अंतिम चेतावनी है. अगर अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए तो आंदोलन व्यापक और उग्र होगा. यह सिर्फ नौकरी की मांग नहीं बल्कि झारखंड के युवाओं के अधिकार और अस्तित्व की लड़ाई है.

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