Ranchi: बिजली बोर्ड से अलग होकर बनी चार कंपनियां झारखंड ऊर्जा विकास निगम, झारखंड बिजली वितरण निगम, झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड और झारखंड उत्पादन निगम लिमिटेड के लगभग 4500 पेंशनधारियों को अब तक पेंशन नहीं मिल पाया है.
छठ और दीवाली के गुजर जाने के बाद भी पेंशनधारी पेंशन की आस में हैं. इसकी वजह यह है कि राज्य में एक महीने बाद भी नए ऊर्जा सचिव की पोस्टिंग नहीं हो पाई है. ऊर्जा सचिव के एप्रुवल से ही पेंशन की राशि निर्गत की जाती है.
एक महीने से ऊर्जा सचिव, सीएमडी और एमडी का पद रिक्त
ऊर्जा सचिव, झारखंड ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी और झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड के एमडी का पद एक अक्टूबर से ही रिक्त है. इसका विभाग की व्यवस्था पर सीधा असर पड़ रहा है. इस पद पर पहले राज्य के वर्तमान मुख्य सचिव अविनाश कुमार ऊर्जा सचिव, ऊर्जा विकास निगम के सीएमडी और बिजली वितरण निगम के एमडी के पद पर पदस्थापित थे. अविनाश कुमार को मुख्य सचिव बनाये जाने के बाद यह पद रिक्त हो गया.
रूटीन काम ही निपटाए जा रहे
फिलहाल ऊर्जा विभाग सहित बिजली कंपनियों में सिर्फ रूटीन काम ही निपटाए जा रहे हैं. नीतिगत फैसलों में भी देरी हो रही है. बोर्ड मीटिंग नहीं हो पा रही है. वहीं एनटीपीसी, डीवीसी समेत अन्य बिजली उत्पादन कंपनियों को ऊर्जा विभाग से भुगतान नहीं पा रहा है. कई जिलों में बिजली आपूर्ति की शिकायतें बढ़ी हैं. उपभोक्ता सेवाओं से जुड़ी परियोजनाएं, जैसे स्मार्ट मीटरिंग, ग्रामीण विद्युतीकरण और लाइन लॉस नियंत्रण योजना की रफ्तार भी धीमी हो गई है.
ये काम हो रहे प्रभावित
• नये कनेक्शन के आवेदनों पर लोगों को स्मार्ट मीटर नहीं मिल पा रहा है.
• नियमित सचिव और एमडी की अनुपस्थिति में विभागीय समन्वय प्रभावित हुआ है.
• तकनीकी और वित्तीय मंजूरियों में देरी हो रही है.
• निगम के कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव ऊर्जा विभाग के स्तर पर लंबित हैं.
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