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750 करोड़ का GST घोटाला : ED की छापेमारी में हवाला व अंगड़िया के इस्तेमाल के सबूत मिले

Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 750 करोड़ रुपये के जीएसटी घोटाले में सात अगस्त की सुबह झारखंड,पश्चिम बंगाल और मुंबई स्थित कुल 12 ठिकानों पर छापा मारा. छापेमारी के दौरान जीएसटी घोटालेबाजों द्वारा नकदी को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए अंगड़िया और हवाला का सहारा लेने के सूबत मिले हैं. जीएसटी घोटाले में ईडी ने पहली बार आठ मई को कुल नौ ठिकानों पर छापा मारा था.


ईडी ने जीएसटी घोटाले के दूसरे दौर में रांची,जमशेदपुर,धनबाद,सरायकेला,कोलकाता,मुंबई में घोटाले से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापा मारा.  ईडी ने रांची के व्यापारी श्याम ठक्कर के व्यापारिक प्रतिष्ठान कामधेनु इंटरप्राइजेज सहित ठिकानों पर छापा मारा. ठक्कर का संबध जीएसटी घोटाले से संबंधित गिरोह से पाया गया है. 

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ईडी ने सरायकेला के व्यापारी पंचानंद सरदार के ठिकानों पर छापा मारा. पंचानंद का व्यापारिक संबंध जमशेदपुर के व्यापारी ज्ञानचंद जयसवाल से है. पंचानंद सरदार जीएसटी घोटाले को अंजाम देने के लिए शेल कंपनियों को नियंत्रित करता है. ईडी ने जमशेदपुर के व्यापारी ज्ञानचंद जयसवाल के ठिकानों पर भी छापा मारा. वह फर्जी तरीके से आइटीसी का लाभ लेने वाली कई शेल कंपनियों का निदेशक है. उसने फर्जी बिलिंग के सहारे 54 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाया है.


ईडी ने जमशेदपुर के व्यापारी ज्ञानचंद जयसवाल के बेटे राज जयसवाल के हावड़ा स्थित ठिकानों पर छापा मारा. राज जयसवाल केदारनाथ टेक्सिम सहित अन्य शेल कंपनियों में निदेशक है. वह इन कंपनियों के सहारे फर्जी बिल बनाने और अपने पिता के साथ मिल कर आइटीसी का गलत लाभ लेने में शामिल है.


ईडी ने धनबाद के व्यापारी चीनू अग्रवाल उर्फ अमित अग्रवाल के ठिकानों पर छापा मारा. इस व्यापारी ने अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान जगदंबा फर्नीचर का इस्तेमाल फर्जी जीएसटी बिल बनाने के लिए किया है. चीनू अग्रवाल ने भी शेल कंपनियां बनायी है. इन कंपनियों का इस्तेमाल फर्जी जीएसटी बिल देने में किया गया है.


ईडी ने जीएसटी घोटाले की जांच के दौरान मुंबई के व्यापारी अंकेश जैन उर्फ मलिक जी के ठिकानों पर छापा मारा. इस व्यापारी द्वारा जीएसटी घोटाले मे मिली नकद राशि को अंगड़िया के सहारे एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है. इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग के सहारे इस रकम को वैध आमदनी दिखाने की कोशिश की जाती है.


छापामारी के दौरान व्यापारियों द्वारा नकदी को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए अंगड़िया और हवाला कोरोबारियों का इस्तेमाल करने से संबंधित सबूत मिले हैं. अंगड़िया और हवाला का इस्तेमाल काला धन और कीमती चीजों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए किया जाता है. अंगड़िया के इस्तेमाल का सबसे ज्यादा प्रचलन मुंबई में हैं. मुंबई के व्यापारी अंकेश जैन उर्फ मलिक जी के ठिकानों पर छापामारी के दौरान अंगड़िया के इस्तेमाल से संबंधित सबूत मिले हैं.


दूसरे दौर की छापामारी के दायरे में शामिल व्यापारियों पर भी फर्जी बिल के सहारे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लेने का आरोप है. छापामारी में शामिल लोगों को संबंध मास्टर माइंड शिव कुमार देवड़ा से है. 


जीएसटी घोटाले में शामिल इन व्यापारियों द्वारा कोयला, लोहा, स्क्रैप सहित कुछ अन्य चीजों की खरीद बिक्री के लिए जीएसटी बिल जारी किया गया है. फर्जी बिल बनाने के दौरान गिरोह का हर व्यापारी कमीशन के रूप में जीएसटी का एक तिहाई हिस्सा लेता है. 


जीएसटी घोटाले के अंजाम देने के लिए व्यापारियों ने फर्जी शेल कंपनियों का सहारा लिया. इन कंपनियों को बनाने के लिए ऑन लाइन जॉब के नाम लोगों को फंसाया गया. ऑन लाइन नौकरी पाने वालों से उनके आधार,पैन, फोटो, बैंक डिटेल आदि लिये गये. इसके इन दस्तावेज का इस्तेमाल कर फर्जी शेल कंपनियां बनायी गयीं. फर्जी कंपनियों के सहारे बिल बनाने और आइटीसी का लाभ लेने के बाद इन कंपनियों को बंद कर दिया जाता था.
जिन लोगों के दस्तावेज के सहारे फर्जी शेल कंपनियां बनायी गयीं, उनमें से कुछ को महीने में एक दो बार दफ्तर में बुलाकर सिर्फ व्यापारिक गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज पर दस्तखत करवाये जाते थे. 


बदले में उन्हें 10-15 हजार रुपये प्रति माह की दर से नौकरी के नाम पर वेतन दिया जाता है. ऑन लाइन जॉब के नाम पर अपना दस्तावेज देने वालों में अधिकांश को उनके नाम पर कंपनी बनाने और कंपनी में निदेशक बनाये जाने की जानकारी नहीं है.


ईडी ने जीएसटी घोटाले की जांच के पहले दौर में आठ मई को रांची,जमशेदपुर और कोलकाता के कुल नौ ठिकानों पर छापा मारा था. साथ ही चार लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार किये गये लोगों में कोलकाता का मास्टर माइंड शिव कुमार देवड़ा, उसका बेटा मोहित देवड़ा, अमित गुप्ता और जमशेदपुर के अमित अग्रवाल उर्फ विक्री भालोटिया का नाम शामिल है.

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