Ranchi : झारखंड में पुलिस के इनफॉर्मर (मुखबिर) होने के आरोप में और रंगदारी नहीं देने की वजह से 837 आम नागरिकों की हत्या कर दी गई. यह हत्या पिछले ढाई दशक के दौरान झारखंड में सक्रिय नक्सली और उग्रवादी संगठनों द्वारा की गई है.
सात जिलों में सबसे अधिक, तीन में किसी की नहीं की गई हत्या
झारखंड के सात जिलों में नक्सलियों ने सबसे अधिक आम लोगों की हत्या की है, जिनमें गुमला, लातेहार, चाईबासा, खूंटी, गिरिडीह, चतरा और रांची शामिल हैं. जबकि तीन जिलों गोड्डा, साहिबगंज और देवघर में किसी भी हत्या नहीं की गई है.
उल्लेखनीय है कि नक्सली संगठन हमेशा से ग्रामीणों को अपना निशाना बनाते रहे हैं. नक्सली कभी मुखबिर के नाम पर तो कभी पनाह नहीं देने के नाम पर आम लोगों की हत्या करते हैं.
पुलिस के मुखबिर होने के आरोप व रंगदारी नहीं देने के कारण मारे गए आम नागरिक
| जिला | कितने लोग मारे गए |
| गुमला | 139 |
| लातेहार | 83 |
| चाईबासा | 82 |
| खूंटी | 75 |
| गिरिडीह | 68 |
| रांची | 61 |
| चतरा | 61 |
| जमशेदपुर | 49 |
| पलामू | 48 |
| हजारीबाग | 36 |
| सिमडेगा | 27 |
| बोकारो | 21 |
| गढ़वा | 19 |
| सरायकेला | 12 |
| दुमका | 08 |
| कोडरमा | 04 |
| पाकुड़ | 04 |
| रामगढ़ | 02 |
| जामताड़ा | 02 |
| धनबाद | 01 |
| गोड्डा | 00 |
| साहेबगंज | 00 |
| देवघर | 00 |
पुलिस अनाधिकृत तौर पर मुखबिरों को करती है बहाल
प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी के निशाने पर पुलिस के मुखबिर हैं. पुलिस को चप्पे-चप्पे की जानकारी मिले, इसलिए पुलिस अनाधिकृत तौर पर मुखबिरों को बहाल करती है. मुखबिरों को नक्सली गतिविधि और दूसरी ऐसी खबरों के बदले पुलिस की तरफ से कुछ इनाम भी मिलता है. इनाम में क्या और कितना मिलता है. यह सरकार के रिकॉर्ड में भी नहीं होता है.
नक्सली इलाकों में मुखबिरों की ही वजह से पुलिस को कई बार बड़ी कामयाबी मिलती है. लेकिन इस बात की जानकारी नक्सलियों को अगर हो जाती है तो वो खबर देने वाले मुखबिर को जान से मार देते हैं. हाल के महीने में इस तरह के कई ऐसे मामले सामने आये हैं, जिसमें नक्सलियों ने मुखबिरी के आरोप में लोगों को मारा है.
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