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रांची विश्वविद्यालय में 9वीं NAGI अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का समापन

Ranchi : रांची विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग और नेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोग्राफर्स, इंडिया (NAGI) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय 9वीं NAGI अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस 'सस्टेनेबल फ्यूचर अर्थ: रिसोर्स यूटिलाइजेशन एंड मैनेजमेंट में उभरती चुनौतियां एवं समाधान' का आज सफल समापन हो गया.

 

7 से 9 अक्तूबर तक चली इस कांफ्रेंस में देश-विदेश के 450 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें शिक्षाविद, शोधकर्ता, सरकारी प्रतिनिधि और नागरिक समाज से जुड़े विशेषज्ञ शामिल थे.

 

इस आयोजन में 250 से अधिक शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए, 36 तकनीकी सत्र और 2 पूर्ण सत्रों का आयोजन हुआ. कांफ्रेंस ने भूगोल, पर्यावरण अध्ययन और संसाधन प्रबंधन के क्षेत्रों में एक मील का पत्थर साबित किया, जहां शोध, नवाचार और नीति निर्माण पर विचार-विमर्श हुआ.

 

समापन दिवस की मुख्य झलकियां

समापन दिवस पर सस्टेनेबिलिटी से जुड़े कई मुद्दों पर तकनीकी सत्रों का आयोजन हुआ – जिनमें सतत कृषि, मृदा स्वास्थ्य, पारिस्थितिकी तंत्र की लचीलापन, सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण, शासन प्रणाली और जियोस्पेशियल तकनीक जैसे विषयों पर चर्चा हुई.

 

इन सत्रों की अध्यक्षता देश के प्रतिष्ठित शिक्षाविदों ने की, जिनमें डॉ ज्ञानेंद्र कुमार सिंह, डॉ संजय रविदास, डॉ सुनील कुमार, डॉ एमडी रियाज, डॉ अजय शर्मा, डॉ हरसिमरत कौर, डॉ आरके लाल सहित कई विद्वान शामिल थे.

 

समापन समारोह की गरिमा

समारोह के मुख्य अतिथि मलिक, निदेशक – सर्वे ऑफ इंडिया और विशिष्ट अतिथि प्रो बिमला चरण शर्मा, रांची विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर रहे. उन्होंने अपने अनुभव साझा किए और नवोदित भूगोलवेत्ताओं को आशीर्वाद प्रदान किया.

 

इसके अलावा NAGI अध्यक्ष प्रो सलाहुद्दीन कुरैशी, प्रो सुरेश चंद्र राय (दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स), डॉ प्रभुध मिश्रा (संयुक्त सचिव, NAGI), प्रो लाल मर्विन धर्मासिरी (श्रीलंका), और देशभर के अनेक प्रख्यात विद्वान इस मौके पर उपस्थित रहे.

 

कांफ्रेंस के संयोजक प्रो जितेन्द्र शुक्ल ने तीन दिनों की गतिविधियों की संक्षिप्त रिपोर्ट प्रस्तुत की. उन्होंने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों का आभार जताया.

 

विचारों की गूंज – एक वैश्विक दृष्टिकोण

  • प्रो सलाहुद्दीन कुरैशी ने कहा कि सतत विकास केवल मानवीय चेतना और जिम्मेदार आचरण के माध्यम से ही संभव है. उन्होंने भारत और पड़ोसी देशों के मानव विकास सूचकांक (HDI) की तुलना करते हुए संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग पर जोर दिया.
  • मलिक, निदेशक (Survey of India) ने छात्रों को प्रेरित करते हुए सरकारी डेटा स्रोतों का उपयोग करने की सलाह दी और इसे शोध कार्यों में शामिल करने का आह्वान किया.
  • प्रो धर्मासिरी (श्रीलंका) ने सम्मेलन की सराहना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोग के लिए एक उत्कृष्ट मंच बताया.

 

सम्मान और विदाई

  • इस अवसर पर सेवानिवृत्त शिक्षकों को सम्मानित किया गया जिन्होंने भूगोल शिक्षा में अमूल्य योगदान दिया है.
  • सम्मेलन के सफल आयोजन हेतु संयोजक प्रो जितेन्द्र शुक्ल को भी विशेष रूप से सम्मानित किया गया.

समापन में डॉ सुनील ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. अंत में सभी ने स्थाई और समावेशी विकास की दिशा में सामूहिक प्रयास का संकल्प लिया.

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