संस्कृति की प्रस्तुति से महका परिसर
Ranchi : पुरूलिया रोड स्थित संत जेवियर कॉलेज में शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. कॉलेज परिसर आदिवासी संस्कृति, गीत-संगीत और पारंपरिक वेशभूषा की झलक से सराबोर हो गया. इस कार्यक्रम में मुंडारी, कुडुख, खडिया, संथाली और हो नृत्य प्रस्तुत की गई. कार्यक्रम में दिशोम गुरू शिबू सोरेन को श्रद्धाजंली अर्पित की गई.
केंद्रीय सरना समिति के संतोष ने बताया कि आदिवासी समाज में 12 प्रकार के नृत्य और 13 प्रकार के गीत पीढ़ियों से चले आ रहे हैं. हम शोक में नाच नहीं सकते, लेकिन 13वें प्रकार का गीत गाकर अपनी संस्कृति को जीवित रखते सकते हैं.
इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने पारंपरिक आदिवासी परिधान धारण किए. महिलाओं के सिर पर सफेद गजरा और गुलाब के फूल, पैरों में पायल, हाथों में अशोक की डालियों चमक धमक रहे थे. युवा मांदर की थाप पर खोड़हा मंडली को नचा रहे थे. संत अन्ना की एक छात्रा ने खड़िया भाषा में मनमोहक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
मांदर की ताल पर छात्राएं कभी बैठकर, तो कभी खड़े होकर नृत्य करती दिखी. हर गीत के साथ छह से सात अलग-अलग लोक नृत्य का रिमिग्स गीत सामने आए. स्टेज पर प्रत्येक खोड़हा समूह ने अपने अंदाज़ में नृत्य प्रस्तुत किया, जिससे माहौल और भी रंगीन हो गया.
कार्यक्रम के अंत में सभी कलाकारों और अतिथियों ने एक साथ सामूहिक नृत्य कर एकता और सांस्कृतिक गर्व का संदेश दिया. मनरेसा के युवाओं ने उरांव नृत्य प्रस्तुत किया. समाज के युवाओं ने आदिवासी समाज की संस्कृति ने धर्म को संरक्षण को प्रस्तुत किया गया.
आदिवासी पदयात्रा से लुप्त हो रही जनजातिय समुदाय पर प्रस्तुति
संत जेवियर कॉलेज की पाचवें सेमस्टर की छात्राओं ने राज्य से धीरे-धीरे लुप्त हो रही जनजातीय समुदाय पर आदिवासी पदयात्रा प्रस्तुत की. इसमें दस आदिवासी समुदाय को दिखाया गया. इसमें सोरिया जनजाति, बिरहोर समेत अन्य शामिल भाषाओं के साथ जनजातीय पर प्रस्तति की गई.
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