Dhanbad : सिख धर्म के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी की 566वीं जयंती के पावन अवसर पर सोमवार को निरसा में भव्य प्रभात फेरी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर सिख समाज के बड़े संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. पूरा निरसा क्षेत्र वाहे गुरु के जयघोष और शबद-कीर्तन से गूंज उठा, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय बन गया.
प्रभात फेरी की शुरुआत निरसा गुरुद्वारा साहिब से हुई. श्रद्धालु हाथों में निशान साहिब लिए गुरु की वाणी का कीर्तन करते हुए निरसा कांटा तक यात्रा कर पुनः गुरुद्वारा पहुंचे. मार्ग में हर चौक-चौराहे पर श्रद्धालुओं ने गुरु वाणी का पाठ और सतनाम वाहे गुरु का उच्चारण कर वातावरण को पवित्र किया.
गुरुद्वारा परिसर पहुंचने पर अखंड पाठ साहिब का आरंभ किया गया. संगतों ने मत्था टेककर गुरु नानक देव जी के उपदेशों को नमन किया और गुरु के बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया. गुरुद्वारा प्रबंधन समिति के सदस्य सुखदेव सिंह ने बताया कि प्रभात फेरी का उद्देश्य समाज में प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश फैलाना है.
उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में जात-पात, भेदभाव और अंधविश्वास का विरोध किया और एक ओंकार सतनाम का संदेश देकर नाम जपो, कीर्तन करो और वंड छको’ के सिद्धांत को जीवन का आधार बताया.
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हुए. समापन पर श्रद्धालुओं के बीच गुरु का प्रसाद (लंगर) वितरित किया गया. पूरा कार्यक्रम श्रद्धा, सेवा और सामूहिक एकता का प्रतीक बन गया.
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