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ट्राइबल कॉलम की मांग को लेकर दिल्ली में 25 फरवरी को होगा विशाल प्रदर्शन: अरविंद

Ranchi : राष्ट्रीय आदिवासी -इंडीजीनस धर्म समन्वय समिति, भारत के द्वारा - जनगणना प्रपत्र में आदिवासियों/जनजातियों के अस्तित्व, आस्था और पहचान के लिए "ट्राइबल कॉलम" पुनः बहाल कराने हेतु प्रेस कॉन्फ्रेंस किया गया. 

 

संगठन के मुख्य संयोजक अरविंद उरांव ने कहा कि आगामी 25 फरवरी 2026 को जंतर-मंतर, नई दिल्ली में एक दिवसीय विशाल धरना प्रदर्शन किया जाएगा.

 

राष्ट्रीय सह संयोजक राजकुमार कुंजाम ने कहा कि देश के सभी राज्यों से आदिवासी समुदाय के लोग हजारों की संख्या में कार्यक्रम में शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि देश में लगभग 800 विभिन्न जनजाति निवास करती है.

 

सभी आदिवासी समुदाय की अलग-अलग धार्मिक आस्था है. जिसमें सरना, गोंडी, भीली, सारी, ढोंनी पोलो, बारिथे, सनामाही, बाथउ...... आदि धर्म है. धर्म को बरकरार रखते हुए अलग ट्राईबल कॉलम दिया जाए‌. जिसमें अपनी धर्म को उस कॉलम में दर्ज कर सकेंगे.

 

जनगणना प्रपत्र आदिवासियों के अलग धर्म कॉलम दिए जाए

झारखंड की महिला नेत्री निरंजना हेरेंज टोप्पो ने कहा कि हर दस वर्ष में देश में जनगणना की जाती थी परन्तु केन्द्र सरकार ने सोलह साल बाद देश में जनगणना की घोषणा की है. आदिवासी समुदाय के लिए जनगणना प्रपत्र में अलग कॉलम नहीं है.

 

तामिलनाडु से आए एस तेन्नारासू ने कहा कि 1931 से 1951 तक जनगणना में ट्राईबल कॉलम था. उसे पुनः लागू किया जाए. साउथ रीजन के सभी राज्यों में ट्राईबल कॉलम बहाल कराने की मांग जारी है. केन्द्र सरकार को बाध्य होकर ट्राईबल पहचान को देना पड़ेगा.

 

मौके पर इंडीजीनस धर्म समन्वय समिति, भारत के मुख्य संयोजक अरविंद उरांव, राष्ट्रीय सह संयोजक राजकुमार कुंजाम, साउथ रीजन से तामिलनाडु के एस. तेन्नारासू, महिला नेत्री निरंजना हेरेंज टोप्पो, बर्मा दयाल गोंड, प्रेम कुमार गोंड, श्रीकांत बाड़ा समेत अन्य शामिल थे.

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