Ranchi : आज एक दिवसीय धरना-प्रदर्शन में अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासभा, आदिवासी छात्र संघ और समस्त मूलनिवासी बहुजन संगठन ने राज्य सरकार के खिलाफ अपनी नारेबाजी और मांगें रखीं.
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि राजनीति में मंदिर और धर्म की बातें हो रही हैं, जबकि देश के मूलवासी और दलित समुदायों के साथ अत्याचार जारी हैं और झारखंड सरकार इस दिशा में उदासीनता बरत रही है.
अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासभा के अध्यक्ष आरपी रंजन ने कहा आज की राजनीति मंदिर और धर्म की बात कर रही है पर हमारे मूलनिवासियों के साथ अत्याचार हो रहा है और झारखंड सरकार इसे नजरअंदाज कर रही है.
 
सरकार बार-बार कहती रही कि यह आदिवासियों की सरकार है, पर उसके निर्णय और कारवाईयां आदिवासियों के ख़िलाफ जा रही हैं. सिर्फ मंईयां सम्मान के नाम पर 2,500 रुपये देने से काम नहीं चलेगा, सरकार को रोज़गार देना चाहिए. संविधान ने जनता को सरकार चुनने का अधिकार दिया है और युवाओं को यह समझना होगा कि यह सरकार बिना विजन वाली है. 
झारखंड जैसा सुन्दर राज्य है, केवल पर्यटन सेक्टर को दुरुस्त किया जाए तो भारी रोजगार निकल सकते हैं. यह आंदोलन बहुजन समाज का है. लोभ में न फंसें, अपने अधिकार जानिए और उन्हें बदलने के लिए काम कीजिए. रोजगार हर जगह है पर सरकार राज्य की प्रगति पर काम नहीं करना चाहती.
धरने को संबोधित करते हुए द्वारिका दास (अध्यक्ष — अखिल भारतीय अनुसूचित जाति महासभा) ने कहा हृदय में गहरा दुःख लेकर हम यहां एकत्र हुए हैं. आजादी के बाद 1950 में संविधान लागू हुआ और जनता को बराबरी का दर्जा मिला फिर भी जाति के नाम पर लगातार अन्याय की घटनाएं सामने आ रही हैं, यह सब राज्य के लिए शर्म की बात है.
 
हम यहां अपना दुःख व्यक्त करने आए हैं. जातिवाद इतना गहरा घुस चुका है कि उसमें अब संस्था और पद भी उलझे दिखते हैं, राष्ट्रपति को अब सिर्फ राष्ट्रपति भी बल्कि पहली आदिवासी राष्ट्रपति कहा जाता है और सीजेआई दलित सीजेआई अगर सरकार मनुवादी सोच और जातिवाद को समाप्त नहीं कर सकती तो उसे अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.
मांगें
आदिवासी व दलित समुदायों के खिलाफ बढ़ रहे अत्याचारों की स्वतंत्र जांच,
रोजगार के अवसर सृजित करने हेतु विशेष योजनाएं व पर्यटन के विकास पर ध्यान
 सरकार द्वारा अमान्य नीतियों पर पुनर्विचार और जवाबदेही की मांग की.
धरने में शामिल संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि मांगों पर संतोषजनक कार्रवाई नहीं हुई तो वे आगामी दिनों में बड़े आंदोलन की घोषणा कर सकते हैं.
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