Ranchi: मारवाड़ी कॉलेज के जैव प्रौद्योगिकी (बायोटेक्नोलॉजी) विभाग और आईक्यूएसी सेल द्वारा वर्ल्ड इन विट्रो फर्टिलिटी डे के अवसर पर स्टेम सेल प्रॉस्पेक्ट्स इन बायोटेक्नोलॉजी एंड आईवीएफ टेक्नोलॉजी विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. मनोज कुमार ने कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. मनी मुक्ता का स्वागत किया. उन्होंने विद्यार्थियों को इस विषय के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित किया और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उपलब्ध करियर संभावनाओं पर प्रकाश डाला.
डॉ. मनी मुक्ता का विस्तृत व्याख्यान
कार्यशाला की मुख्य अतिथि और प्रमुख वक्ता के रूप में उपस्थित थीं. आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. मनी मुक्ता ने विद्यार्थियों और शोधार्थियों को आईवीएफ, बांझपन (Infertility) और बायोटेक्नोलॉजी के आपसी संबंधों की विस्तृत जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि आजकल महिलाओं और पुरुषों दोनों में बांझपन की समस्याएं बढ़ रही हैं. इसके पीछे पीसीओएस, पीसीओडी, हार्मोनल असंतुलन, एंडोमेट्रियोसिस और थायरॉयड जैसी स्वास्थ्य समस्याएं जिम्मेदार हैं.
डॉ. मुक्ता ने इन समस्याओं के संभावित उपचार विकल्प भी बताए.
जिनमें शामिल हैं -
• आईवीएफ (In Vitro Fertilization)
• आईयूआई (Intrauterine Insemination)
• क्रायोप्रिज़र्वेशन (Cryopreservation)
• डोनर एग्स / स्पर्म
• इनोवेटिव ट्रीटमेंट्स (जैसे DOR/POI के लिए उन्नत उपचार विधियां)
उन्होंने यह भी समझाया कि बायोटेक्नोलॉजी इन तकनीकों को और अधिक प्रभावी, सुरक्षित और सुलभ बनाने में अहम भूमिका निभा रही है.
स्टेम सेल थेरेपी, जेनेटिक स्क्रीनिंग, एम्ब्रायो कल्चर और बायोइन्फॉर्मेटिक्स जैसे क्षेत्रों में हो रहे नवाचारों पर भी उन्होंने विस्तार से चर्चा की.
सामाजिक और चिकित्सा दृष्टिकोण
कार्यक्रम का संचालन डॉ. पिंकी राज साहू (एमबीएसआई कोऑर्डिनेटर) ने किया. उन्होंने आईवीएफ तकनीक के सामाजिक और चिकित्सीय पक्षों की महत्ता को रेखांकित किया.
विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव चंद्र रजक ने कार्यशाला की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों को न केवल व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करते हैं, बल्कि उन्हें आधुनिक शोध और तकनीकी नवाचारों से भी जोड़ते हैं.
सहयोग और सहभागिता
कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. सलोनी, स्वाति शैलिका, अनुभव चक्रवर्ती, हीरालाल और अक्षय का विशेष योगदान रहा.
बायोटेक्नोलॉजी विभाग के अनेक विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी दिखाई, जिनमें श्रृष्टि कुमारी प्रमुख रहीं.
प्रश्नोत्तर सत्र में छात्रों की सक्रिय भागीदारी
कार्यशाला के अंतिम सत्र में आयोजित प्रश्नोत्तर में छात्रों ने विशेषज्ञों से अपने सवाल पूछे और उत्साहपूर्वक संवाद किया. इस सत्र ने कार्यक्रम को और अधिक शैक्षणिक, संवादात्मक और प्रेरणादायक बना दिया.
Lagatar Media की यह खबर आपको कैसी लगी. नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में अपनी राय साझा करें.
Leave a Comment