Ranchi: हजारीबाग जिला में सेवायत भूमि घोटाला से जुड़े मामले में ACB ने अपनी जांच के बाद आरोपितों के ऊपर चार्जशीट दाखिल कर दी है. ACB ने अपील चार्जशीट में कहा है कि इस केस में तत्कालीन खास महल पदाधिकारी विनोद चंद्र झा, तत्कालीन अपर समाहर्ता गणेश प्रसाद और तत्कालीन डीसी विनय चौबे प्रथम दृष्ट्या दोषी प्रतीत होते हैं.
जांच के दौरान एसीबी को इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि खास महल भूमि की खरीद-बिक्री में अनियमितता बरती गई है और इस अनियमितता के लिए उक्त अधिकारी ज़िम्मेदार हैं. एजेंसी ने कोर्ट के समक्ष कई दस्तावेज भी प्रस्तुत किए हैं.
यह घोटाला हजारीबाग की 2.75 एकड़ खासमहल भूमि से संबंधित है, जिसे 1948 में 30 वर्षों के लिए एक ट्रस्ट 'सेवायत' को लीज पर दिया गया था. जिसकी रजिस्ट्री 23 लोगों को नियमों को दरकिनार करते हुए की गई. क्योंकि लीज 1978 में समाप्त हो गई थी और 2008 तक इसका नवीनीकरण किया गया.
2008 से 2010 के बीच एक सुनियोजित प्रशासनिक षड्यंत्र के तहत इस भूमि को सरकारी भूमि घोषित कर 23 निजी व्यक्तियों को अवैध रूप से आवंटित कर दिया गया. चार्जशीट में यह भी कहा गया है कि इस षड्यंत्र के केंद्र में तत्कालीन डीसी हजारीबाग विनय कुमार चौबे थे.
उन्होंने खासमहल पदाधिकारी के साथ मिलकर लीज नवीनीकरण के लिए दिए गए आवेदन से "सेवायत" शब्द जानबूझकर हटवाया ताकि ट्रस्ट की भूमि को सरकारी दिखाया जा सके और उसका अवैध हस्तांतरण संभव हो सके. इस मामले में भी विनय चौबे समेत अन्य पर मामला दर्ज हुआ है. इस संबंध में ACB ने कांड संख्या 9/2025 दर्ज की है. इस मामले में तत्कालीन खास महल पदाधिकारी विनोद चंद्र झा को भी एसीबी ने गिरफ्तार किया है.
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