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405 विधायकों में से 182 भाजपा में शामिल हुए
एडीआर की रिपोर्ट में सामने आया है कि 2016 से 2020 के दौरान पाला बदलकर फिर से चुनावी मैदान में उतरने वाले 405 विधायकों में से 182 भाजपा (44.9 प्रतिशत) में शामिल हुए. इसी क्रम में 38 विधायक (9.4 प्रतिशत) कांग्रेस और 25 विधायक तेलंगाना राष्ट्र समिति का दामन थामा. रिपोर्ट के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पांच लोकसभा सदस्य भाजपा को छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हुए. 2016-2020 के दौरान कांग्रेस के सात राज्यसभा सदस्य दूसरी पार्टियों में गये. एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2016 से 2020 के दौरान हुए चुनावों में कांग्रेस के 170 विधायक (42 प्रतिशत) दूसरे दलों में शामिल हुए तो इसी अवधि में भाजपा के सिर्फ 18 विधायकों (4.4 प्रतिशत) ने दूसरी पार्टियों का दामन लिया. इसे भी पढ़ें : म्यांमार">https://lagatar.in/military-coup-in-myanmar-center-directed-to-prevent-illegal-entry-india-they-are-not-refugees/36923/">म्यांमारमें सैन्य तख्तापलट : भारत आने वाले शरणार्थी नहीं, केंद्र का अवैध एंट्री रोकने का निर्देश
मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में दल बदल से सरकारें गिरीं
यह भी कहा गया कि मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में सरकार का बनना-बिगड़ना विधायकों का पाला बदलने की बुनियाद पर हुआ. विधायकों के पार्टी बदलने की वजह से पांच सालों में मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक की सरकारें गिर गयी. इस रिपोर्ट के अनुसार, 2016 से 2020 के दौरान पार्टी बदलकर राज्यसभा चुनाव फिर से लड़ने वाले 16 राज्यसभा सदस्यों में से 10 भाजपा में शामिल हुए.2016 से 2020 के बीच कुल 12 लोकसभा सांसदों ने पार्टी बदलकर दोबारा चुनाव लड़ा. इनमें से पांच (41.7 फीसदी) सांसद 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा छोड़कर दूसरी पार्टी में शामिल हो गए. लगभग इतने ही लोकसभा सांसद कांग्रेस में शामिल हुए इसे भी पढ़ें : घायल">https://lagatar.in/political-distraction-in-bjp-due-to-impact-of-injured-mamta/36752/">घायलममता और किसानों के हुंकार के असर से BJP में राजनीतिक व्याकुलता

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