Ranchi : केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा झारखंड सरकार के खाते से डीवीसी के बकाये 714 करोड़ रुपये कटौती पर राजनीति गरमा गयी है. केंद्र के इस कदम पर त्वरित प्रतिक्रिया करते हुए झारखंड बिजली वितरण निगम ने रांची स्थित केंद्रीय उपक्रम एचईसी की बिजली काट दी है. वहीं सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी केंद्र की इस पहल को झारखंड के साथ भेदभाव करने वाला बताया है. पार्टी प्रवक्ता विनोद कुमार पांडे ने पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस कर बताया है कि जनवरी 2021 से झारखंड सरकार हर महीने 125 करोड़ रुपये का भुगतान कर रही है. फिर भी केंद्र ने कोरोना जैसी महामारी में यह कटौती कर दी. वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव के दिये बयान का हवाला देते हुए जेएमएम नेता ने कहा कि इसका असर राज्य के सरकारी कर्मियों के वेतन पर पड़ना तय है. बता दें कि एचईसी पर 126 करोड़ रुपये बकाये को देखते हुए बिजली काटी गयी है. इसे भी पढ़ें-
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उन्होंने कहा कि डीवीसी पर बकाया कटौती राशि को लेकर 2017 में एक त्रिपक्षीय समझौता हुआ था. लेकिन केंद्र द्वारा राज्य सरकार को विश्वास में लिये बिना कटौती करने को देख मुख्यमंत्री इस समझौते से बाहर होने की घोषणा कर चुके हैं. राज्य कैबिनेट में इस बाबत एक निर्णय लिया गया है. फिर भी केंद्र लगातार बकाया राशि का कटौती कर रही है. इसे भी पढ़ें-
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जेएमएम नेता ने कहा कि झारखंड से ज्यादा तो अन्य भाजपा शासित या अन्य दल वाले राज्यों पर केंद्र ऊर्जा मंत्रालय का अरबों का बकाया है. ऐसे राज्यों में उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर प्रमुखता से शामिल हैं. लेकिन उन राज्यों के साथ केंद्र की भाजपा सरकार ऐसा कोई व्यवहार नहीं कर रही है. जबकि झारखंड के साथ भेदभाव व्यवहार लगातार बढ़ता जा रहा है.
14 में से 12 लोकसभा सांसद भाजपा के, पर वे नहीं उठा रहे मुद्दा
राज्य के 14 लोकसभा सासंदों का जिक्र करते हुए विनोद पांडे ने कहा कि इसमें से 12 सांसद तो भाजपा के हैं. दिल्ली में रहने से वे झारखंड के साथ किये जा रहे भेदभाव व्यवहार पर सवाल नहीं पूछ रहे हैं. वहीं जब वे झारखंड आते हैं, तो इस समस्या का सारी ठीकरा हेमंत सरकार पर फोड़ देते हैं. [wpse_comments_template]
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