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गुरुजी के निधन के बाद झारखंड की राजनीति में बदलाव तय, समन्वय समिति पुनर्गठन और रास उपचुनाव जल्द

  • झामुमो और गठबंधन के सामने नेतृत्व और उपचुनाव की दोहरी चुनौती
  • गुरुजी के निधन से खाली हुई राज्यसभा सीट
  • समन्वय समिति हुई प्रमुख विहीन
  • झारखंड में नए नेतृत्व की तलाश

Ranchi :  झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा सांसद दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद राज्य की राजनीति में अहम बदलाव तय माने जा रहे हैं. अब राज्य समन्वय समिति का पुनर्गठन और राज्यसभा की एक खाली सीट के लिए उपचुनाव अनिवार्य हो गया है.

 

ज्ञात हो कि 2022 में गठित समन्वय समिति की अध्यक्षता स्वर्गीय शिबू सोरेन कर रहे थे. समिति में राज्यसभा सांसद सरफराज अहमद, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, पूर्व मंत्री सत्यानंद भोक्ता, बंधु तिर्की, झामुमो महासचिव विनोद पांडेय और वरिष्ठ नेता फागू बेसरा जैसे नाम शामिल हैं.

 

लेकिन अब गुरुजी के निधन के बाद समिति प्रमुख विहीन हो गई है, जिससे सरकार के लिए इसका पुनर्गठन आवश्यक हो गया है. वैसे भी समिति का कार्यकाल 25 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है. ऐसे में इस पुनर्गठन की प्रक्रिया और भी तात्कालिक हो गई है.

 

राज्यसभा सीट के लिए छह माह में उपचुनाव जरूरी

शिबू सोरेन के निधन से झारखंड से राज्यसभा की एक सीट रिक्त  हो गई है. संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, छह माह के भीतर इस रिक्त स्थान को भरने के लिए उपचुनाव कराना अनिवार्य है.

 

गौरतलब है कि 22 जून 2020 को शिबू सोरेन और भाजपा नेता दीपक प्रकाश राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे, जिनका कार्यकाल 21 जून 2026 तक निर्धारित है. लेकिन अब गुरुजी के निधन से एक साल पहले ही यह सीट खाली हो गई है.

 

ऐसे में निर्वाचन आयोग को नियमानुसार आगामी छह महीने के भीतर इस सीट पर उपचुनाव कराना होगा.

 

झामुमो और गठबंधन के सामने नेतृत्व और राज्यसभा चुनाव को लेकर दोहरी चुनौती

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और गठबंधन दलों के सामने अब दोहरी चुनौती है. एक ओर जहां समन्वय समिति के नेतृत्व के लिए सर्वमान्य चेहरा तय करना जरूरी हो गया है. वहीं दूसरी ओर राज्यसभा उपचुनाव के लिए उपयुक्त उम्मीदवार का चयन करना है. 

 

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