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वन भूमि पर दावेदारी में हाईकोर्ट से हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार

Ranchi: हाईकोर्ट द्वारा 18.13 एकड़ जमीन पर राज्य सरकार की दावेदारी खारिज किये जाने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. मामला हजारीबाग जिले के मांडू स्थित जमीन से संबंधित है. हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान रैयतों की ओर से वन विभाग पर घूस मांगने का आरोप भी लगाया गया था.


दीप नारायण माझी, लातन गंझू सहित अन्य ने वर्ष 2020 में हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर अपनी रैयती जमीन पर वन विभाग द्वारा गलत तरीके से दावा करने के मामले में याचिका दायर की थी. इसमें यह कहा गया था कि मांडू के थाना नंबर 159, खाता नंबर एक की जमीन रामगढ़ राजा ने की थी. 
वर्ष 1944 में राजा ने 18.13 एकड़ जमीन उनके पूर्वजों को बंदोबस्त की थी. जमींदारी उन्मूलन के बाद बिहार सरकार ने उसके पूर्वजों की दावेदारी स्वीकार की थी. जमीन का लगान रसीद जारी किया जा रहा है.

वर्ष 1962 में वन विभाग ने इस जमीन पर यह कहते हुए दावा किया था कि उसके नक्शे के हिसाब से जमीन वन विभाग की है. इस मामले में केस नंबर 340/1962-63 में बंदोबस्त पदाधिकारी ने रैयतों की दावेदारी को स्वीकार किया था. 


साथ ही वन विभाग को जमीन को रिलीज करने का आदेश दिया था. लेकिन वन विभाग ने अपने नक्शे में संशोधन नहीं किया. अब विभाग फिर इस जमीन पर अपनी दावेदारी कर रहा है. नक्शे में संशोधन करने के लिए संपर्क करने पर फॉरेस्टर घूस मांग रहे हैं.


 रैयतों की याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश केपी देव ने अगस्त 2022 में अपना फैसला सुनाया. उन्होंने राज्य सरकार व वन विभाग की दावेदारी को अमान्य करते हुए रैयतों के पक्ष में फैसला सुनाया. 


न्यायालय ने वन विभाग को 60 दिनों के अंदर नक्शे में सुधार करने का आदेश दिया. सरकार ने हाइकोर्ट के सिंगल बेच के इस फैसले के खिलाफ एलपीए दायर की. सरकार की याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायालय ने अप्रैल 2023 को अपना फैसला सुनाया.

 

मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायाधीश आनंदा सेन की पीठ ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी. इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है.

 

 

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