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कृषि मंत्री का केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम को पत्र - लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में हो वृद्धि

Ranchi: कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में यथोचित वृद्धि करने की पहल की है. इसको लेकर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल ओराम को पत्र लिखा है. पत्र में कहा है कि झारखंड की एक बड़ी आबादी कृषि एवं वनोपज आधारित उत्पादों पर निर्भर है. 

 

राज्य में लाह, करंज के बीज, महुआ, साल बीज, जंगली शहद, चिरौंजी जैसे वनोपज पर बड़ी आबादी की निर्भरता है. विशेष रूप से आदिवासी समाज के साथ-साथ समाज के वंचित वर्ग के लिए ये आय का मुख्य श्रोत भी है. झारखंड राज्य के ये वनोपज आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हुए पर्यावरण संवेदनशीलता और जैविक कृषि को बढ़ावा देने में भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं.

 

इन उत्पादों का वर्तमान बाजार मूल्य काफी कम

 

कृषि मंत्री ने पत्र में लिखा है कि लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण एवं क्रियान्वयन जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित एमएसपी फॉर एमएफपी योजना के अंतर्गत किया जाता है. लेकिन यह देखा गया है कि इन उत्पादों के लिए निर्धारित एमएसपी वर्तमान बाजार मूल्य से काफी कम है. ऐसा होने से वनोपज पर निर्भर आदिवासी समुदाय को पर्याप्त लाभ नहीं मिल पा रहा है. 
 

 

कृषि मंत्री ने उत्पादों की कीमत का भी किया जिक्र
 

 

कृषि मंत्री ने उत्पादों की कीमत का पत्र में जिक्र किया है. कहा है कि कुसमी लाह का एमएसपी  275 रुपए किलो है. जबकि बाजार भाव 730 से 750 रुपए किलो है. जंगली शहद का एमएसपी 225 रुपए किलो है. जबकि बाजार भाव 600 से 800 रुपए किलो है. 

 

चिरौंजी का एमएसपी 126 रुपए किलो है, जबकि बाजार भाव 250 से 300 रुपए किलो है. इसी तरह महुआ के फूल का एमएसपी 30 रुपए किलो है, जबकि बाजार भाव 45 से 60 रुपए किलो है. करंज के बीज का एमएसपी 22 रुपए किलो है, जबकि बाजार भाव 40 से 48 रुपए किलो है. साल बीज का एमएसपी 20 रुपए किलो है, जबकि बाजार भाव 25 से 30 रुपए किलो है.

 

कृषि मंत्री ने ये किया है आग्रह

 

•    लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य का पुनः निर्धारण वैज्ञानिक विधि और वर्तमान बाजार विश्लेषण के आधार पर किया जाए.

•    लघु वनोपज के एमएसपी में यथोचित वृद्धि की जाए, जिससे आदिवासी समुदायों को उनके श्रम का न्यायोचित मूल्य प्राप्त हो सके.

•    लघु वनोपज के मूल्य निर्धारण प्रक्रिया में कृषि मंत्रालय के विशेषज्ञों को परामर्श के लिए सम्मिलित किया जाए. जिससे फसल चक्र, भंडारण और विपणन जैसे पहलुओं पर समन्वय सुनिश्चित हो सके.

•    राज्यों के सहयोग से एक केंद्रीयकृत मूल्य मॉनिटरिंग प्रणाली विकसित किया जाए. जिससे लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के प्रभावी क्रियान्वयन की निगरानी हो सके.

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