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अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जावेद सिद्दीकी गिरफ्तार, कोर्ट ने 13 दिन की ईडी कस्टडी में भेजा

Lagatar Desk :  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जावेद अहमद सिद्दीकी को PMLA, 2002 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तारी के बाद उसे दिल्ली के साकेत कोर्ट में पेश किया गया, जहां अदालत ने सिद्दीकी को 13 दिनों की ईडी हिरासत में भेजने का आदेश दिया.

 

 

अदालत ने कहा-हिरासत में पूछताछ जरूरी

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि शुरुआती जांच में यह पाया गया है कि सिद्दीकी ने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता दावे और अल फलाह विश्वविद्यालय से जुड़े फंड में हेरफेर जैसे गंभीर वित्तीय अपराध किए हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शीतल चौधरी प्रधान ने देर रात अपने कैंप ऑफिस में यह आदेश जारी किया.

 

ईडी ने अदालत को बताया कि सिद्दीकी को 18 नवंबर की रात PMLA की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया गया. जावेद सिद्दीकी ट्रस्ट के वित्तीय फैसलों को प्रत्यक्ष रूप से नियंत्रित करते हैं. जांच में उनके खिलाफ धोखाधड़ी, गलत जानकारी देने और अवैध धन के लेन-देन से जुड़े महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं. 

 

अदालत ने यह भी माना कि जांच अभी शुरुआती दौर में है और समय रहते पूछताछ जरूरी है ताकि अपराध की आगे की परतें खुल सकें, अवैध संपत्ति को बचाया जा सके और गवाहों को प्रभावित करने या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड नष्ट करने की किसी भी कोशिश को रोका जा सके.

 

25 ठिकानों पर की थी छापेमारी

मंगलवार को ईडी ने दिल्ली और फरीदाबाद में अल-फलाह ट्रस्ट और अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े 25 ठिकानों पर छापेमारी की थी. इन कार्रवाइयों के दौरान मिले दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डेटा की जांच करने के बाद ईडी ने सिद्दीकी की भूमिका को गंभीर मानते हुए उसे गिरफ्तार किया. गिरफ्तारी के बाद उसकी मेडिकल जांच की गई और उसके बाद उसे साकेत कोर्ट में पेश किया गया.

 

ईडी को छापेमारी में मिले कई दस्तावेज

दिल्ली में 19 स्थानों पर हुई तलाशी में 48 लाख रुपये से अधिक नकदी, कई डिजिटल डिवाइस, महत्वपूर्ण कागजात और शेल कंपनियों से जुड़े प्रमाण मिले हैं. जांच अधिकारियों का कहना है कि ट्रस्ट के फंड को परिवार की कंपनियों में डायवर्ट किया गया. निर्माण और कैटरिंग के ठेके भी सिद्दीकी की पत्नी और बच्चों की कंपनियों को दिए गए. लेयरिंग, संदिग्ध लेन-देन और कई वित्तीय अनियमितताएं भी सामने आईं.

NAAC और UGC मान्यता को लेकर गंभीर आरोप

ईडी के अनुसार, अल फलाह यूनिवर्सिटी पर गलत तरीके से NAAC और UGC 12(B) मान्यता का दावा करने का आरोप है. जांच में सामने आया है कि स्टूडेंट्स और अभिभावकों को भ्रमित कर आर्थिक लाभ उठाने के लिए यह झूठी जानकारी दी गई. यूजीसी ने स्पष्ट किया है कि अल फलाह यूनिवर्सिटी केवल सेक्शन 2(f) के तहत एक स्टेट प्राइवेट यूनिवर्सिटी के रूप में सूचीबद्ध है और उसने कभी भी 12(B) के लिए आवेदन नहीं किया.

 

ट्रस्ट की संरचना और जावेद सिद्दीकी की भूमिका

अल फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना 8 सितंबर 1995 को हुई थी. जावेद अहमद सिद्दीकी शुरुआत से ही इसके ट्रस्टी रहे हैं और समूह के वास्तविक संचालन पर उनका नियंत्रण है. विश्वविद्यालय और उससे जुड़े सभी संस्थान इसी ट्रस्ट के अंतर्गत आते हैं. ईडी का दावा है कि 1990 के दशक से समूह का तेजी से हुआ विस्तार उसकी घोषित वित्तीय क्षमता से कहीं अधिक दिखाई देता है.

 

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