Ranchi : अखिल भारतीय हाड़ी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले गुरुवार को राजभवन के समक्ष एक दिवसीय धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया. इसमें राज्यभर से आए सैकड़ों लोगों ने भाग लिया और सरकार से अपने अधिकारों की मांग की. धरना में शामिल हजारों हाड़ी समुदाय के लोगों ने जातीय पहचान, आरक्षण और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों को लेकर सरकार को घेरते हुए 17 सूत्रीय मांगों को तत्काल लागू करने की मांग की.
वक्ताओं ने कहा कि झारखंड में हाड़ी समाज की जनसंख्या लगभग 10 से 15 लाख है, लेकिन सरकार की नीतियों में इस समुदाय को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है. हाड़ी समाज आज भी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से बेहद पिछड़ा हुआ है, बावजूद इसके उन्हें न तो उचित आरक्षण मिल रहा है और न ही जातीय पहचान.
ये हैं इनकी मुख्य मांगें
• हाड़ी समाज को दलितों में शामिल कर अलग से आरक्षण की व्यवस्था की जाए.
• जातीय और आवासीय प्रमाणपत्र बनवाने में आ रही बाधाओं को तत्काल दूर किया जाए.
• सरकारी सेवाओं में चयन के लिए मैट्रिक और इंटर की शैक्षणिक योग्यता को हटाकर केवल साक्षरता को मानक बनाया जाए.
• बिहार की तर्ज पर सफाई कर्मचारी आयोग का गठन किया जाए.
• हाड़ी समुदाय को अत्यंत पिछड़ा वर्ग (अ.पि.वर्ग) में शामिल कर सभी 17 सूत्री मांगों को लागू किया जाए.
• स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार और भूमि अधिकारों को लेकर विशेष नीति बनाई जाए.
मोर्चा के नेताओं ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित 10% आरक्षण में भी हाड़ी समुदाय के लिए कोई ठोस प्रावधान नहीं है. जातीय वर्गीकरण अधूरा है, जिससे सरकारी योजनाओं और नौकरियों का लाभ हाड़ी समाज तक नहीं पहुंच पा रहा है.
आंदोलन तेज करने की दी चेतावनी
वक्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने जल्द उनकी मांगों पर संज्ञान नहीं लिया, तो यह आंदोलन और तेज किया जाएगा और पूरे राज्य में इसे चरणबद्ध तरीके से फैलाया जाएगा.धनबाद जिला से आए राजेश कुमार ने कहा कि आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बावजूद हाड़ी समाज, जिसकी जनसंख्या अकेले उनके जिले में 5 लाख से अधिक है, अब भी अधिकारों से वंचित है. दुमका के जिलाध्यक्ष गौरव कुमार ने कहा कि आदिवासी हाड़ी समुदाय सफाई कार्यों में संलग्न है, फिर भी उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है.
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