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अमित शाह ने लोकसभा में कहा, वोट चोरी का फर्जी नैरेटिव बनाने की कोशिश हो रही है, विपक्ष का हंगामा

 New Delhi :  गृह मंत्री अमित शाह ने आज बुधवार को लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा का जवाब दिया. विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा कि उन्होंने दो दिन संसद की कार्यवाही नहीं चलने दी. जनता को यह संदेश देने की कोशिश की गयी कि भाजपा वाले चर्चा नहीं होने देना चाहते.

 

अमित शाह ने चुनौती देते हुए कहा, हम भाजपा और एनडीए के लोग डिबेट से कभी नहीं भागते. कहा कि संसद देश की सबसे बड़ी पंचायत है. इस बात को साफ किया कि शुरू  में चर्चा के लिए हमने ना कहा. क्योंकि इसके पीछे भी कारण थे. विपक्ष  एसआईआर पर चर्चा की मांग कर रहा था.

 

अमित शाह ने कहा, एसआईआर कराना चुनाव आयोग का काम है. इस पर चर्चा होगी तो जवाब कौन देगा. फिर श्री शाह ने कहा. जब विपक्ष चुनाव सुधार पर चर्चा के लिए तैयार हुआ, तो हमने दो दिन चर्चा की. अमित शाह ने विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा, चर्चा तय हुई चुनाव सुधार पर, लेकिन विपक्षी सांसदो ने एसआईआर पर ही बोला.

 

गृह मंत्री ने कहा, इसका जवाब तो मुझे देना पड़ेगा. मैंने एसआईआर का गहन अध्ययन किया है. मैं कांग्रेस द्वारा फैलाये गये हर झूठ का अपने तर्कों के हिसाब से जवाब दूंगा. अमित शाह ने विपक्ष पर हमलावर होते कहा कि घुसपैठिए यह तय नहीं कर सकते कि देश में सीएम-पीएम कौन हो.

 

गृह मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से एसआईआर हो रहा है. चुनाव आयोग का कर्तव्य यह तय करना है कि कौन मतदाता है और कौन नहीं. कहा कि वोटर होने के लिए संबंधित व्यक्ति का सबसे पहले भारत का नागरिक होना जरूरी है

 

राहुल गांधी पर हल्ला बोलते हुए अमित शाह ने कहा कि वह हरियाणा का एक मकान नंबर बताते हुए दावा करते हैं कि इस घर में इतने वोटर हैं. चुनाव आयोग ने वेरिफिकेशन किया तो यह दावा ही गलत था. आरोप लगाया कि विपक्ष वोट चोरी का फर्जी नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रहा है. इस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया.  

 

इससे पहले अमित शाह ने कहा कि चुनाव के लिए चुनाव आयोग जिम्मेदार है. चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है.  अनुच्छेद 324 में चुनाव आयुक्त को विशेष अधिकार दिये गये हैं. बताया कि अनुच्छेद 326 में मतदाता की पात्रता तय है. कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी का नाम लेकर कहा कि वे कह रहे हैं कि चुनाव आयोग को एसआईआर कराने का अधिकार है ही नहीं.

 

अमित शाह ने कहा, वो जान लें कि  SIR  का अधिकार चुनाव आयोग को अनुच्छेद 327 के तहत दिया गया है. विपक्ष पर एसआईआर को लेकर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए उदाहरण भी दिये. अमित शाह ने बताया कि  2000 के बाद देश में तीन बार एसआईआर किया गया दो बार भाजपा-एनडीए की सरकार में और  एक बार मनमोहन सिंह की सरकार में एसआईआर हुआ.  तब किसी ने विरोध नहीं किया.

 

एसआईआर  चुनाव को पवित्र रखने की प्रक्रिया है. तर्क दिया कि अगर वोटर लिस्ट अशुद्ध है, तो चुनाव कैसे पवित्र हो सकते हैं. एसआईआर मतदाता सूची का शुद्धिकरण है. तंज कसा कि कुछ दलों को इस देश के लोग वोट नहीं देते हैं, जो वोट देते हैं, उनके नाम भी कट जायेंगे.  उनसे हमें सहानुभूति है.  

 

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