New Delhi : अमित शाह ने आज राज्यसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा को दौरान कहा कि कुछ लोग इस चर्चा को बंगाल चुनाव से जोड़ कर देख रहे हैं वो सही नहीं है. उन्होंने कहा, यह सही है कि बंकिम बाबू की पृष्टभूमि बंगाल की थी, लेकिन वंदे मातरम् बंगाल तक सीमित नहीं था.
श्री साह ने गुलामी के कालखंड को याद करते हुए कहा कि वंदे मातरम् गीत ने गुलामी के घनघोर अंधेरे के बीच आम जन के मन में आजादी के लिए लड़ने का जोश पैदा किया. अमित शाह ने कहा कि भारत की सीमाएं अधिनियम से नहीं, बल्कि संस्कृति से तय हुई हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को लेकर जागरूक करने का काम बंकिमचंद्र ने किया. अमित शाह ने इतिहास को याद करते हुए कहा कि जब अंग्रेजों ने वंदे मातरम् गीत पर प्रतिबंध लगाया, तब बंकिम बाबू ने लिखा, मेरे सारे साहित्य को गंगा में बहा दो, लेकिन वंदे मातरम जन-जन का गान होगा.
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वंदे मातरम ने देश को जागरूक किया. अंग्रेजों के समय में वंदे मातरम बोलने वालों पर कोड़े बरसाये जाते थे, फिर भी यह गीत कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैला.
उन्होंने कहा कि जब वंदे मातरम गीत के 100 साल पूरे हुए थे, तो पूरे देश को बंदी बना दिया गया था. कांग्रेस पर बरसते हुए कहा कि जब 150 साल पूरे होवे पर पर कल(सोमवार) सदन में चर्चा का शुभारंभ किया गया तो गांधी( सोनिया) परिवार के सदस्य गायब थे.
गृह मंत्री ने आरोप लगाया कि वंदे मातरम का विरोध जवाहर लाल नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस नेतृत्व के खून में है. अमित शाह ने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा, वंदे मातरम् के टुकड़े हुए तो देश बंट गया. तुष्टिकरण न होता तो देश का बंटवारा न होता.
अमित शाह ने कांग्रेस पर हमलावर होते हुए कहा, कल कांग्रेस के कई सदस्य वंदे मातरम की चर्चा को राजनीतिक हथकंडा या मुद्दों से ध्यान भटकाने का हथियार बता रहे थे. श्री शाह ने चुनौती देते हुए कहा, हम मुद्दों पर चर्चा करने से नहीं डरते. संसद का बहिष्कार हम नहीं करते. अगर संसद चलने दें तो सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे. हमारे पास छिपाने को कुछ नहीं है.
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