Ranchi : आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं ने आज अपनी प्रमुख मांगों को लेकर राजभवन के समक्ष अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया. यह धरना झारखंड प्रदेश आंगनबाड़ी वर्कर्स यूनियन के बैनर तले किया जा रहा है.
यूनियन ने चेतावनी दी है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक यह धरना जारी रहेगा. यूनियन के प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मांग पत्र भी सौंप चुका है.
50 साल बीत गए पर स्थायी कर्मी का नहीं मिला दर्जा
यूनियन ने बताया कि 2 अक्टूबर 1975 में आंगनबाड़ी केंद्रों की शुरुआत हुई थी और आज देशभर में लगभग 26 लाख सेविका-सहायिका कार्यरत हैं. केवल झारखंड में ही 36,500 आंगनबाड़ी सेविकाएं कार्य कर रही हैं. लेकिन आज तक उन्हें न तो स्थायी कर्मी का दर्जा मिला है और न ही सेवानिवृत्ति का कोई लाभ.
सरकारी कर्मी का दर्जा देने की मांग
यूनियन की मांग है कि आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं को सरकारी कर्मियों का दर्जा मिले, सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त पांच लाख रुपये का आर्थिक लाभ दिया जाए और मासिक पेंशन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए. साथ ही मानदेय में भी बढ़ोतरी की मांग की गई है.
यूनियन की प्रमुख मांगें
1. सेविकाओं-सहायिकाओं को श्रमिक का दर्जा देकर सरकारी कर्मी घोषित किया जाए.
2. सेवानिवृत्ति पर पांच लाख रुपये का एकमुश्त लाभ और पेंशन दी जाए, जैसा कि पश्चिम बंगाल में लागू है.
3. सेविकाओं के मानदेय में 1000 रुपये व सहायिकाओं के मानदेय में 500 रुपये की मासिक वृद्धि की जाए.
4. 10 वर्ष से अधिक सेवा देने वाली सेविकाओं की मनमानी बर्खास्तगी पर रोक लगाई जाए.
5. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ग्रेच्युटी का पालन किया जाए.
6. आधार और मोबाइल लिंक समस्या से प्रभावित पोषण ट्रैकर (FRS) कार्य को सुधारने के लिए पंचायत स्तर पर कैंप लगाया जाए.
7. सेविकाओं को BLO कार्य से मुक्त किया जाए.
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