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मलेशिया में आसियान समिट 26 से, पीएम मोदी नहीं जा रहे,  कांग्रेस ने तंज कसा, क्यों नहीं जा रहे, क्या ट्रंप होंगे वहां, इसलिए...

New Delhi :   मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में 26 से 28 अक्टूबर तक आसियान समिट का आयोजन हो रहा है. लेकिन पीएम मोदी आसियान(ASEAN )समिट में शामिल होने मलयेशिया नहीं जा रहे हैं. यह अब क्लियर हो गया है.  

 

पिछले कई दिनों से अटकलें चल रही थीं कि प्रधानमंत्री मोदी कुआलालंपुर सम्मेलन में जाएंगे या नहीं? अब यह लगभग तय हो गया है कि प्रधानमंत्री वहाँ नहीं जाएंगे।

इसका मतलब है कि कई विश्व नेताओं से गले मिलने, फ़ोटो खिंचवाने और ख़ुद को विश्वगुरु बताने के कई मौक़े हाथ से निकल गए।

पीएम… pic.twitter.com/LK3uB8SjWF

 

मलयेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने आज गुरुवार सुबह  एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी है. उन्होंने लिखा कि पीएम मोदी आसियान समिट को वर्चुअली संबोधित करेंगे. इस संबंध में अनवर इब्राहिम ने लिखा, मेरी पीएम मोदी के एक करीबी सहयोगी से बात हुई है.

 


इब्राहिम ने कहा, हमने तय किया है कि भारत और मलयेशिया कारोबार और निवेश के मामले में मजबूत सहयोगी बने रहेंगे. तकनीकी, शिक्षा, सुरक्षा को लेकर दोनों देश सहयोग करेंगे. अनवर ने कहा कि भारत में दीपावली उत्सव चल रहा है. ऐसे में पीएम मोदी वर्चुअली  ASEAN समिट को संबोधित करेंगे.  

 


पहले राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि आसियान समिट पीएम नरेंद्र मोदी शामिल होंगे. वहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होगी,  लेकिन अब पीएम मोदी द्वारा वर्चुअल संबोधन किये जाने की खबर आ गयी है. यानी ट्रंप से मुलाकात नहीं होगी. हालांकि कांग्रेस पीएम मोदी के मलेशिया नहीं जाने पर सवाल पूछ रही है

 

 

प्रधानमंत्री मोदी भी कह चुके हैं कि वह मलेशिया में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल शामिल होंगे.    पीएम मोदी ने आज फोन पर मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम को यह सूचना दी है. 

 


कांग्रेस ने कहा कि पिछले कई दिनों से अटकलें चल रही थीं कि प्रधानमंत्री मोदी कुआलालंपुर सम्मेलन में जायेंगे या नहीं? अब यह लगभग तय हो गया है कि प्रधानमंत्री वहाँ नहीं जायेंगे.  इसका मतलब है कि कई विश्व नेताओं से गले मिलने, फ़ोटो खिंचवाने और ख़ुद को विश्वगुरु बताने के कई मौक़े हाथ से निकल गये.

 


कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने एक्स पर पोस्ट किया,  पीएम मोदी के वहां नहीं जाने की वजह साफ है. वे राष्ट्रपति ट्रंप के सामने नहीं आना चाहते, जो वहां मौजूद होंगे.  उन्होंने कुछ सप्ताह पहले मिस्र में गाजा शांति शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण भी इसी वजह से ठुकरा दिया था.  

 


सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति ट्रंप की तारीफ़ में संदेश पोस्ट करना एक बात है, लेकिन उस व्यक्ति के साथ आमने-सामने होना, जिसने 53 बार ऑपरेशन सिंदूर रोकने का दावा किया है और पांच बार यह कहा है कि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने का वादा किया है. यह दूसरी बात है. यह उनके लिए काफ़ी जोखिम भरा है. प्रधानमंत्री शायद अब उस पुराने हिट बॉलीवुड गाने को याद कर रहे होंगे: बच के रहना रे बाबा, बच के रहना. 


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