Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक आचार्य (कक्षा 6 से 8) भर्ती से जुड़े एक अहम मामले में बड़ा आदेश पारित किया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि भर्ती विज्ञापन और नियमावली में टकराव होता है, तो नियमावली ही प्रभावी मानी जाएगी.
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति आनंद सेन की एकल पीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता राजेश मिस्त्री की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया. याचिका की पैरवी अधिवक्ता चंचल जैन ने की.
भर्ती विज्ञापन में नियम विरुद्ध शर्त जोड़ी गई
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता चंचल जैन ने दलील दी कि झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन ने भर्ती विज्ञापन में नियम विरुद्ध शर्त जोड़ दी कि स्नातक स्तर पर समाज विज्ञान संबंधित विषय को लगातार तीन वर्षों तक पढ़ना अनिवार्य होगा.
जबकि झारखंड प्राइमरी स्कूल असिस्टेंट टीचर (सहायक आचार्य) कैडर नियमावली 2022 के अनुसार संबंधित विषय में केवल स्नातक की डिग्री ही पर्याप्त है. याचिकाकर्ता का कहना था कि यह अतिरिक्त शर्त पूरी तरह नियमविरुद्ध और मनमानी है.
पारा-शिक्षक श्रेणी में पद सुरक्षित करने का निर्देश
हाईकोर्ट ने 20 अगस्त 2025 को हुई सुनवाई में मामले की गंभीरता को देखते हुए अंतरिम आदेश पारित किया. अदालत ने याचिकाकर्ता के लिए सामाजिक विज्ञान विषय के तहत पारा-शिक्षक श्रेणी में पद सुरक्षित रखने का निर्देश दिया.
छह सप्ताह में JSSC दे जवाब
साथ ही अदालत ने JSSC को छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया. इस आदेश को भर्ती से जुड़े हजारों अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि विज्ञापन और नियमावली में टकराव होता है, तो नियमावली ही प्रभावी मानी जाएगी.
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