Ranchi : बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा समेत देश के अन्य राज्यों में जहां 2021- 23 सत्र के लिए बीएड एडमिशन की तैयारी चल रही है. वहीं, झारखंड में 2020-22 सत्र का भी एडमिशन अभी तक पूरा नहीं हो पाया है. वैसे छात्र जो झारखंड के 136 सरकारी और निजी बीएड कॉलेजों में नामांकन लेना चाहते थे, उनके लिए 26 नवंबर 2020 से ऑनलाइन एप्लीकेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.
20 प्रतिशत सीट अभी भी खाली है
नामांकन के लिए कुल 78,112 आवेदन आए, जिसमें से 1923 आवेदन को रिजेक्ट किया गया और 76361 छात्रों की सूची जारी की गई. लेकिन नामांकन की प्रक्रिया को इतना जटिल और पेचीदा बनाया गया कि जिससे लगभग 13,600 सीट को चार काउंसलिंग और पांच महीने के लंबे इंतेज़ार के बाद भी भरा नहीं जा सका. लगभग 20 प्रतिशत सीट अभी भी खाली है. जबकि कॉलेज छात्र के इंतज़ार में है और छात्र कॉलेजों का इंतज़ार करते करते अन्य राज्यों में नामांकन लेने को मजबूर हो गए.
ग्रेजुएशन के अंक को मेरिट लिस्ट का आधार बनाया गया
बता दें कि कोरोना के कारण राज्य के बीएड कॉलेजों में नामांकन के लिए एंट्रेन्स एग्जाम का आयोजन नहीं हो पाया है. ऐसे में ग्रेजुएशन के अंक को मेरिट लिस्ट का आधार बनाया गया. इसके बाद शुरू हुई काउंसलिंग की प्रक्रिया. एक- एक कर के चार काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी कर ली गई, जबकि कोरोना की दूसरी लहर के बीच पांचवी काउंसलिंग प्रक्रिया अधूरी रह गई. काउंसलिंग में 76,000 से अधिक छात्रों में से 20,000 छात्रों को ही बार- बार मौका दिया गया और 50000 से अधिक वैसे छात्र जो बीएड करने को इच्छुक थे,
अपनी बारी का इंतज़ार करते रह गए और उन्हें मौका नहीं मिला. इनमें से कुछ छात्रों का या तो सत्र पीछे हो गया या उन्होंने अन्य राज्यों का रुख कर लिया. कला संकाय के छात्रों को विज्ञान विषय के छात्रो से कम नंबर के कारण मौका नहीं मिल सका. वही बीएड करने वाले अधिकांश छात्र निर्धन और निम्न- मध्यमवर्गीय परिवार से आते है, वैसे में जब उन्हें घर से दूर निजी कॉलेज आवंटित कर दिया जा रहा है, ऐसी स्थिति में वे एडमिशन नहीं ले रहे है.
भाजपा प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल षांड़गी ने जेसीईसीईबी की कार्यशैली पर उठाया था सवाल
भाजपा प्रवक्ता और पूर्व विधायक कुणाल षाड़गी ने भी झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा परिषद (जेसीईसीईबी) की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की थी. भाजपा प्रवक्ता ने कहा था, छात्रों को अपने पसंद के कॉलेजों में आवेदन करने की आजादी जरूर है, लेकिन उनका नामांकन किस कॉलेज में होगा, यह जेसीईसीईबी पर निर्भर करती है. परीक्षा परिषद छात्र- छात्राओं को घर से 300-350 किलोमीटर दूर का कॉलेज आवंटित कर रहा है, जहां रह कर पढ़ना उनके लिए मुश्किल है. कुणाल षाड़गी ने मामले को लेकर मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की भी मांग की थी, ताकि छात्रों को नजदीक के कॉलेजो में नामांकन मिल सके. लेकिन अभी तक नियमों में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है.
बचे सीट को ओपेन काउंसलिंग से भरने की मांगी गई अनुमति
नामांकन में देरी की वजह से ज्यादातर निजी कॉलेजों मे 2019-21 सत्र में भी सीटे खाली रह गई थी. लगातार दूसरे वर्ष सीट नहीं भरा जाना चिंतनीय है. ऐसे में निजी कॉलेजों के प्रबंधकों के द्वारा सरकार से शेष बचे हुए सीट को ओपेन काउंसलिंग से भरने की अनुमति मांगी गई है. वहीं कई राउंड काउंसलिंग करने के बाद जेसीईसीईबी ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए है. उसने, सरकार से अनुरोध किया है कि शेष बचे हुए सीटो पर कैसे एडमिशन करना है, इसका फैसला कर ले.