Ranchi : पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में 8 जून 2015 को हुई कथित पुलिस नक्सली मुठभेड़ की सीबीआई जांच कर रही हैं. जानकारी के मुताबिक सीबीआई की टीम कथित बकोरिया मुठभेड़ की घटना में जेजेएमपी उग्रवादी संगठन की संलिप्तता की जांच कर रही है. सीबीआई की टीम ने लातेहार के इलाके में जेजेएमपी के पूर्व नक्सली से पूछताछ भी किया है. पूर्व नक्सली ने मुठभेड़ के बारे में सीबीआई को काफी कुछ जानकारी दी है.
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पप्पू लोहरा ने दिया था बकोरिया कांड को अंजाम
02 जनवरी 2018 को जेजेएमपी के उग्रवादी गोपाल सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था. वीडियो उग्रवादी संगठन टीपीसी के जन अदालत का था. जेजेएमपी के उग्रवादी गोपाल सिंह को पकड़कर टीपीसी के उग्रवादियों ने जन अदालत लगायी थी. जन अदालत में गोपाल सिंह ने बकोरिया कांड की पूरी कहानी को स्वीकार किया था. उसने कबूल किया था कि नक्सली अनुराग और 11 निर्दोष लोगों की हत्या जेजेएमपी के उग्रवादी पप्पु लोहरा ने की. उसी वीडियो के आधार पर सीबीआई ने उससे पूछताछ किया है. सीबीआई की टीम कथित मुठभेड़ की जांच के लिए लातेहार के छिपादोहर में भी गई थी. कथित मुठभेड़ छिपादोहर के इलाके के चार नाबालिग मारे गए थे. सीबीआई टीम को मारे गए चारो नाबालिग के बालिग होने के सबूत मिले है.
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पहले जिस पप्पू लोहरा के साथ घूमते थे,अब उससे ही लड़ना पड़ रहा
झारखंड पुलिस को तीन साल पहले तक पुलिस के अधिकारी और जवान जिस जेजेएमपी के उग्रवादी के साथ जंगल में घूमते थे, अब ऐसा क्या हुआ कि उसी उग्रवादी के साथ पुलिस को मुठभेड़ करना पड़ रहा है. 16 दिसंबर 2018 को जंगल की एक फोटो वायरल हुआ था, जंगल में सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान थे और साथ में जेजेएमपी का वह उग्रवादी पप्पू लोहरा व सुशील उरांव भी था. एक तथ्य यह भी था कि पप्पू लोहरा पर झारखंड पुलिस ने 10 लाख का और सुशील उरांव पर 05 लाख रुपये के इनाम की घोषणा कर रखी है. फोटो सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों व सीआरपीएफ के अधिकारियों ने कहा था, कि इस तस्वीर की जांच होगी. जांच हुई या नहीं. जांच हुई तो क्या कार्रवाई हुई, इसकी जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं हो पायी.
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झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के बाद CBI ने दर्ज की थी प्राथमिकी
पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र बकोरिया में आठ जून 2015 को हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के मामले में CBI दिल्ली ने प्राथमिकी दर्ज की थी. यह प्राथमिकी झारखंड हाइकोर्ट के 22 अक्टूबर 2018 को दिए आदेश पर दर्ज की गयी थी. इस घटना में पुलिस ने 12 लोगों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था. मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए हाइकोर्ट में CID की जांच पर सवाल उठाते हुए CBI जांच की मांग की थी. CBI ने पलामू के सदर थाना कांड संख्या 349/2015, दिनांक 09 जून 2015 के केस को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी.
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