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बिरसा मुंडा जू :  मतलब यहां थानेदार की कुर्सी पर डीजीपी का कब्जा

Ranchi : भगवान बिरसा मुंडा बायोलॉजिकल पार्क (ओरमांझी) के निदेशक सहित दूसरे अफसर सिंगापुर में ZOO देखने गये हैं. वहां उन्हें इस बात का मुआयना करना है कि चिड़िया घर के जानवर बेहतर माहौल में सांस लेकर कैसे लंबी जिंदगी गुजार सकते हैं. सिंगापुर से सबक सीख कर झारखंड में उसी तर्ज पर बड़ा चिड़िया घर बनाना है.

 

यह अलग बात है कि अफसर सिंगापुर में जानवरों के नाम पर मजे ले रहे हैं और बिरसा मुंडा पार्क के जानवर आखिरी सांस ले रहे हैं. दो दिनों पहले यहां की इकलौती मादा जिराफ मिष्टी ने आखिरी सांस ली. यहां जानवरों के आखिरी सांस लेने की लंबी कहानियां हैं. पर, क्या हुआ ? मरता तो आदमी भी है. इ तो ससुरे जानवर हैं. किसी ना किसी दिन मरना ही है.

 

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सिंगापुर भ्रमण को गए झारखंड वन विभाग के अधिकारी.

राज्य में विदेशों से सबक सीख कर यहां भी वैसा करने की परंपरा राज्य बनने के बाद शुरू हुई. स्टेडियम से लेकर ड्रेनेज-सिवरेज सिस्टम के लिए भी विदेशों के दौरे किये जा चुके हैं. वह भी एक बार नहीं. कई-कई बार. ZOO के नाम पर तो वन विभाग का यह पहला ही सरकारी दौरा है. न जाने जानवरों के बहाने विदेशों के और कितने दौरे होंगे?

 

भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर बना यह बायोलॉजिकल पार्क भी अजब जगह पर है. वन विभाग के जिस अफसर को यह जगह पसंद आ जाती है, वह हर कीमत पर वहीं चिपके रहना चाहता है. अब इस पार्क को ही लीजिये. यहां निदेशक का पद CF (कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट) स्तर के अफसर के लिए स्वीकृत है. पिछले ही दिनों सरकार ने इसे DFO के स्तर के लिए स्वीकृत करने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था. सूचना है कि केंद्र सरकार ने इसे स्वीकार कर लिया है.

 

लेकिन यहां निदेशक के पद पर Aditional PCCF स्तर के अधिकारी जब्बर सिंह करीब चार साल से जमे बैठे हैं. सरकार ने उन्हें अतिरिक्त प्रभार में यह पद दे रखा है. लगता है कि यह पद उन्हें पसंद आ गया है. ना तो वह खुद यहां से हिलना चाहते हैं ना ही सरकार उन्हें हिलाना चाहती है. आखिर नाम भी तो जब्बर सिंह है. निदेशक की कुर्सी पर Adl.PCCF के जमे होने की वजह से विभाग में यह कहावत आम है कि “ यहां थानेदार की कुर्सी पर DGP बैठे हैं”.

 

बिरसा मुंडा पार्क के रेंजर राम बाबू तो और भी महान है. ओरमांझी सहित शहर के कई रेंजर धूल फांक रहे हैं. लेकिन राम बाबू अकले 10-10 पदों के प्रभार में हैं. जनाब वह इतने कर्मठ हैं कि अपने मूल पद कोडरमा से भी बिरसा मुंडा पार्क की जिम्मेवारी बखूबी निभाते हैं. इसलिए तो विभाग के बड़े अफसर ने ख़ुश होकर उन्हें 10-10 जगह का अतिरिक्त प्रभार दे रखा है. मानो वह अकेले ही वन विभाग का बोझ उठाये फिर रहे हैं.

 

रामबाबू के पास कोडरमा वाइल्ड लाइफ रेंज, हजारीबाग वाइल्ड लाइफ रेंज, गिरिडीह वाइल्ड लाइफ रेंज, बिरसा जू जोन-1, बिरसा जू जोन-2, गझंडी टी रेंज (कोडरमा टी डिविजन), एसएफ रेंज कोडरमा, एसएफ रेंज चौपारण, एसएफ रेंज डोमचांच और हजारीबाग रेंज. इतने जगहों का काम-काज वह कैसे निपटाते हैं ? यह समझ से परे और जांच का भी विषय हो सकता है. अगर कोई चाहे तो इस पर रिसर्च भी कर सकता है.

 

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