Ranchi: झारखंड में बिगड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य सरकार पर कड़ा प्रहार किया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने बुधवार को एक प्रेस बयान जारी कर कहा कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाएं चरमराई हुई हैं और राज्य सरकार इस गंभीर विषय पर पूरी तरह उदासीन है.
उन्होंने हालिया कैग रिपोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि अब न्यायपालिका को भी राज्य सरकार की निष्क्रियता पर संज्ञान लेना पड़ रहा है. हाईकोर्ट ने चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के रिक्त पदों को भरने के लिए चार सप्ताह के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है.
भाजपा प्रवक्ता ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि मंत्री को स्वास्थ्य विभाग की स्थिति की चिंता नहीं है, उनका ध्यान सिर्फ हजारीबाग, रामगढ़ की घटनाओं और दूसरे विभागों में अधिक लगा रहता है. अजय साह ने आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग इस समय एक अनाथ विभाग बन गया है न डॉक्टर हैं, न नर्सें और न ही कोई सुचारु व्यवस्था.
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए जहां नए डॉक्टरों, नर्सों और तकनीकी कर्मियों की नियुक्ति आवश्यक है, वहीं मंत्री का ध्यान केवल रिम्स की नई इमारत के निर्माण पर केंद्रित है, जिसे उन्होंने कमीशन आधारित राजनीति का प्रतीक करार दिया.
आउटसोर्सिंग के पीछे चहेते लोगों को लाभ पहुंचाने की साजिश
प्रवक्ता ने यह भी आरोप लगाया कि जब वित्त विभाग ने चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की सीधी नियुक्ति को स्वीकृति दे दी है, तो उसके बावजूद आउटसोर्सिंग के जरिए भर्तियों का निर्णय संदेहास्पद है. उन्होंने इसे "अपने चहेते लोगों को फायदा पहुंचाने की एक सुनियोजित साजिश" बताया.
अजय साह ने सरकार की दोहरी नीति की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब राज्य के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी खुद इलाज के लिए दिल्ली जाते हैं, तो यह इस बात का प्रमाण है कि वे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा नहीं करते.
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