London : एक स्टडी में दावा किया गया है कि कोरोना वायरस चीन के वुहान की उसी लैब में बना था, जिसपर दुनिया का शक है. ताजा स्टडी के अनुसार जब कोरोना वायरस तैयार हो गया तब रिवर्स इंजीनियरिंग के दम पर उसे ऐसा दिखाने की कोशिश की गयी कि वायरस एक चमगादड़ की वजह से बना है. डेली मेल की खबर के अनुसार एचआईवी वैक्सीन पर सफल काम चुके ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश और नॉवे के वैज्ञानिक डॉ बिर्गर सोरेनसेन ने साथ मिलकर यह स्टडी की है. कहा गया
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वायरस में एक यूनिक फिंगरप्रिंट मिला
कि जब दोनों वैक्सीन बनाने के लिए कोरोना के सैंपल्स का अध्ययन कर रहे थे दौरान उन्हें वायरस में एक यूनिक फिंगरप्रिंट मिला था. उस समय उन्होंने कहा था बिना लैब में छेड़छाड़ किये ऐसा नहीं हो सकता है. कहा कि जब उन्होंने अपनी स्टडी की फाइंडिंग्स को जर्नल में प्रकाशित करना चाहा तो कई बड़े साइंटिफिक जर्नल ने इसे खारिज कर दिया, क्योंकि उस समय लग रहा था कि कोरोना वायरस चमगादड़ या जानवरों से इंसानों में प्राकृतिक रूप से आया है.
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स्टडी पूरे 22 पेज की है, जिसमें वुहान लैब की पूरी कुंडली है
स्टडी पूरे 22 पेज की है, जिसमें वुहान लैब की पूरी कुंडली है. दावे के मुताबिक, साल 2002 से 2019 के बीच वुहान लैब में क्या-क्या हुआ, उसकी पूरी स्टडी इस रिपोर्ट में तैयार की गयी है जो कोरोना वायरस को लेकर बड़े खुलासे कर सकती है. खबरों के अनुसार यूनिक फिंगरप्रिंट की बात सामने आने के बाद इसे फेक न्यूज बता कर खारिज कर दिया था. लेकिन कोरोना के एक साल भी फिर से आवाज तेज होने लगी है कि कोरोना कहां से आया क्या सच में इसे लैब में बनाया गया.
जान लें कि हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी इसे लेकर खुफिया एजेंसियों से 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है. बता दें कि ब्रिटिश प्रोफेसर एंगस डल्गलिश लंदन में सेंट जॉर्ज यूनिवर्सिटी में कैंसर विज्ञान के प्रोफेसर हैं तो नार्वे के वैज्ञानिक डॉ सोरेनसेन एक महामारी विशेषज्ञ हैं और इम्यूनर कंपनी के अध्यक्ष हैं, जो कोरोना की वैक्सीन तैयार कर रही है, जिसका नाम है बायोवैक-19 है.
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वुहान लैब में डेटा से छेड़छाड़ संभव
स्टडी में चीन पर सनसनीखेज और हैरान करने वाले आरोप लगाये गये हैं. इस स्टडी में दावा किया गया है कि चीन ने वुहान लैब में जानबूझकर प्रयोग से जुड़े डेटा को नष्ट किया गया, छिपाया गया और छेड़छाड़ की गयी. इसमें कहा गया है कि जिन वैज्ञानिकों ने इसे लेकर अपनी आवाज उठाई, उन्हें कम्युनिस्ट देश चीन ने या तो चुप करा दिया या फिर गायब कर दिया गया. बताया जा रहा है कि इस स्टडी को जल्दी ही आने वाले कुछ दिनों में प्रकाशित किया जायेगा.
वायरस वुहान लैब से निकला या नहीं, 90 दिन में रिपोर्ट दें : बाइडन
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पिछले बुधवार को खुफिया एजेंसियों को कोविड-19 (कोरोना वायरस) महामारी का जन्म स्थान तलाशने के लिए दोगुने प्रयास करने को कहा है. जानकारी के अनुसार बाइडन ने एजेंसियों को कहा है कि 90 दिन के भीतर वायरस के जन्मस्थान का पता करके रिपोर्ट दें. उन्होंने कहा, यह निष्कर्ष निकालने के अपर्याप्त साक्ष्य हैं कि क्या यह किसी संक्रमित जानवर के मानवीय संपर्क से उभरा है या एक लैब दुर्घटना ने इस महामारी को जन्म दिया है.
बाइडन ने कहा, खुफिया समुदाय के ज्यादातर लोग इस पर यकीन नहीं करते हैं कि एक बात के दूसरी की तुलना में सही होने का आकलन करने के लिए पर्याप्त जानकारी मौजूद है. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं को जांचकर्ताओं की मदद करने का निर्देश दिया और चीन से अंतरराष्ट्रीय जांचों में सहयोग करने की अपील की.
हालांकि अमेरिका के हेल्थ ऑफिशियल भी इस दौरान निशाने पर आये हैं, क्योंकि पाया गया है कि वुहान में रिसर्च के लिए कुछ इन्वेस्टमेंट उनकी ओर से भी की गयी थी. लेकिन इस बीच जो ताज़ा स्टडी आयी है उसमें साफ-साफ कहा गया है कि कोरोना वायरस का जन्म एक लैब में हुआ है, ये कोई प्राकृतिक तरह से पैदा हुआ वायरस नहीं है.
डब्ल्यूएचओ पर दबाव बना रहे हैं अमेरिका और ब्रिटेन
अमेरिका और ब्रिटेन कोविड-19 की संभावित उत्पत्ति की गहराई से जांच करने को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पर लगातार दबाव बना रहे हैं. दोनों देशों का मानना है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए डब्ल्यूएचओ की टीम को चीन का नए सिरे से दौरा करना चाहिएय डब्ल्यूएचओ और चीनी विशेषज्ञों ने गत मार्च में एक रिपोर्ट जारी करके इस महामारी के उत्पन्न होने की चार संभावनाओं के बारे में जानकारी दी थी.
इस संयुक्त टीम का मानना है कि इस बात की प्रबल आशंका है कि कोरोना वायरस चमगादड़ों से किसी अन्य जानवर के माध्यम से लोगों में प्रवेश कर गया. संयुक्त टीम ने कहा कि इसकी संभावना बेहद कम है कि यह वायरस किसी प्रयोगशाला में तैयार किया गया.
गौरतलब है कि कोरोना वायरस दुनिया के सामने दिसंबर 2019 में आया था, उसी के बाद से अबतक दुनिया में इसके कारण तबाही मची है. लाखों लोगों की जान जा चुकी है और अभी भी लाखों लोग बीमार हैं. दुनिया ने कई बार वुहान के पीछे चीन का हाथ बताया, लेकिन चीन हर बार इससे इनकार करता रहा है