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श्मशान में जलती चिताएं और यह अश्लील विक्ट्री

Surjit Singh

देश में कोरोना तेजी से फेल रहा है. हर किसी के परिवार का कोई सदस्य, रिश्तेदार, दोस्त, साथ काम करने वाले कलिग या कोई जान-पहचान वाला कोरोना से पीड़ित है. कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहा. ऑक्सीजन नहीं है. डॉक्टर-नर्स कम पड़ गये हैं. पीड़ित एंबुलेंस पर ही मर रहे हैं. श्मशान में मुक्ति के लिये जगह कम पड़ गयी है.  और हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज (17 अप्रैल) क्या कर रहे हैं. वह पोस्टर में मुसकुरा रहे हैं. वह पश्चिम बंगाल के दो कार्यक्रम कर रहे हैं, आसनसोल और गंगारामपुर में.

हर शहर-गांव में मौत घूम रही है

हर शहर-गांव में मौत घूम रही है. भाजपा के ट्वीटर हैंडल से विक्ट्री प्रतीक वाली तसवीर पोस्ट की जा रही है. चुनावी सभा का प्रचार किया जा रहा है. निर्लज्जता की हद पार करते हुए पोस्ट में लिखा गया है पीएम नरेंद्र मोदी दो पब्लिक मीटिंग को संबोधित करेंगे. सवाल यह उठता है कि क्या प्रधानमंत्री को अब भी इस महामारी की भयावहता नहीं दिख रही है. नहीं दिख रहा है कि सड़कें खुद ब खुद खाली हैं और श्मशान में शव जलाने के लिये जगह नहीं है.

पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा को गोवा का राज्यपाल बनाया जा रहा है !

आखिर चुनाव आयोग क्या कर रहा है. वह सभाओं को रोक क्यों नहीं रहा. क्या प्रधानमंत्री का पब्लिक मीटिंग लोगों की जान से बड़ी है. आज ही यह खबर है कि पूर्व चुनाव आयुक्त सुनील अरोरा को गोवा का राज्यपाल बनाया जा रहा है. क्या चुनाव आयोग के आयुक्त अब रिटायरमेंट के बाद राजनीतिक-संवैधानिक पद पाने की लालसा के साथ अपने काम करने लगे हैं.

आखिर यह कौन सी जिद है. लाशों पर से गुजर कर सत्ता हासिल करने की जिद. जिन्हें लोगों को भीड़ न जुटाने की अपील करनी है, वही भीड़ जुटा रहे हैं.  क्या देश के नेतृत्व का यही चरित्र होते हैं. तो क्या किसी ने ठीक कहा है- मातम का नाम हाकिम ने जश्न कर दिया है, रोती है अब रिआया ताली बजा-बजा कर.