Ranchi: रांची के लाखों रेहड़ी-पटरी और फुटपाथ दुकानदारों ने अपनी रोज़ी-रोटी और सम्मान की रक्षा के लिए बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है. दुकानदारों ने पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी से त्वरित हस्तक्षेप की अपील की है. उनका कहना है कि स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 और राज्य की नीतियों के बावजूद आज भी पुलिसिया कार्रवाई, सामान की जब्ती और अवैध बेदखली जारी है.
दुकानदारों की समस्याएं
बिना नोटिस पुलिस और नगर निकाय द्वारा रोज़-रोज़ बेदखली.
2016 के बाद से कोई नया सर्वेक्षण नहीं, कई विक्रेता सूची से बाहर.
अधिकांश को अब तक Certificate of Vending (CoV) नहीं मिला.
वेंडिंग ज़ोन, पानी, शौचालय और रोशनी जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव.
Town Vending Committee (TVC) का गठन या चुनाव नहीं हुआ.
जब्त सामान की कोई रसीद या वापसी की प्रक्रिया नहीं.
सरकारी योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा से वेंडर्स पूरी तरह बाहर.
क्यों ज़रूरी हैं स्ट्रीट वेंडर्स?
महासंघ का कहना है कि रेहड़ी-पटरी वाले केवल दुकानदार नहीं, बल्कि शहर की धड़कन हैं.
ये किसानों, कुटीर उद्योगों और छोटे व्यापारियों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ते हैं.
लोगों को सस्ते दाम पर रोजमर्रा का सामान उपलब्ध कराते हैं.
लाखों परिवारों की आजीविका इन्हीं से चलती है, खासकर महिलाओं, दिव्यांगों और प्रवासी मजदूरों की.
कानून और जमीनी हकीकत
स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट 2014 के कई प्रावधान लागू नहीं हो रहे
धारा 13: हर 3 साल में सर्वे होना जरूरी, 2016 के बाद से नहीं हुआ.
धारा 29: CoV धारकों को सुरक्षा, लेकिन उनके साथ भी बेदखली जारी.
धारा 37: बेदखली से पहले नोटिस जरूरी, पर रातों-रात पुलिस कार्रवाई.
धारा 38-40: जब्ती का रिकॉर्ड होना चाहिए, लेकिन सामान बिना पावती गायब.
पुराने हाट-बाजार और प्राकृतिक मार्केट भी उजाड़े जा रहे हैं.
प्रमुख मांगें
1. पुनर्वास और सर्वेक्षण पूरा होने तक बेदखली पर रोक.
2. छह माह के भीतर राज्यव्यापी नया सर्वेक्षण.
3. हर नगर निकाय में लोकतांत्रिक चुनाव से TVC का गठन.
4. सभी पात्र वेंडर्स को CoV जारी.
5. सुसज्जित वेंडिंग ज़ोन और प्राकृतिक बाजारों का संरक्षण.
6. पुलिस और अधिकारियों को पथ विक्रेता कानून की ट्रेनिंग.
7. सर्वेक्षण, बेदखली और TVC चुनाव की जानकारी सार्वजनिक पोर्टल पर.
8. वेंडर्स को सरकारी योजनाओं, ऋण, बीमा, स्वास्थ्य और शिक्षा से जोड़ना.
महासंघ की चेतावनी
भारतीय पथविक्रेता महासंघ (IHA) ने साफ़ कहा है कि जब तक मांगें पूरी नहीं होतीं, उनका आंदोलन जारी रहेगा. संगठन का दावा है कि अब तक देशभर में 100 से ज़्यादा बाजारों को कानूनी लड़ाई और जनदबाव से बचाया गया है. रांची में भी वेंडर्स पीछे हटने वाले नहीं हैं.
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