NewDelhi : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धार्मिक शिक्षा पर फंडिंग को लेकर बुधवार को कई अहम सवाल उठाये. हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या एक धर्मनिरपेक्ष राज्य मदरसों को फंडिंग कर सकता है? यह सवाल भी पूछा कि क्या कि क्या संविधान के अनुच्छेद 28 के तहत मदरसे धार्मिक शिक्षा संदेश और पूजा पद्धति की शिक्षा दे सकते हैं? कहा कि मदरसों में खेल मैदान रखने के अनिवार्य शिक्षा के अधिकार के अनुच्छेद 21 व 21 ए की अनिवार्यता का पालन किया जा रहा है?
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क्या महिलाओं को मदरसों में प्रवेश पर रोक है?
क्या महिलाओं को मदरसों में प्रवेश पर रोक है? यदि ऐसा है तो क्या यह भेदभाव पूर्ण नहीं है.? कोर्ट ने इन सारे सवालों के जवाब राज्य सरकार से चार सप्ताह में मांगे है . इस क्रम में कोर्ट ने यह भी जानना चाहा है कि क्या सरकार अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के धार्मिक शिक्षा संस्थानों को फंड दे रही है?
यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने प्रबंध समिति मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम की याचिका पर दिया है. बता दें कि याचिका की सुनवाई अब छह अक्तूबर को होगी. यह मदरसा, मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है और राजकीय सहायता प्राप्त है.
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