New Delhi : महुआ मोइत्रा कैश फॉर क्वेरी विवाद फिर सुर्खियों में है. दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस पर फैसला सुनाते हुए TMC सांसद महुआ मोइत्रा को राहत दे दी है.
खबर है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में लोकपाल द्वारा CBI को चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी देने का आदेश रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने लोकपाल के आदेश को कानून के प्रावधानों के विपरीत बताया.
कहा कि लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम 2013 के प्रावधानों को सही ढंग से नहीं समझा गया.
जस्टिस अनिल क्षेतरपाल और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने यह आदेश देते हुए लोकपाल से कहा कि वह मंजूरी के प्रश्न पर कानून के अनुरूप पुनर्विचार करते हुए एक माह के अंदर इस पर नया निर्णय दे.
महुआ मोइत्रा की ओर से सीनियर एडवोकेट निधेश गुप्ता ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि लोकपाल ने जो प्रक्रिया अपनाई है, उसमें गंभीर खामियां हैं. यह लोकपाल अधिनियम में निर्धारित प्रक्रिया के विपरीत है.
निधेश गुप्ता ने अधिनियम की धारा 20(7) का हवाला देते हुए कहा कि इसमें स्पष्ट रूप से यह प्रावधान है कि अभियोजन की मंजूरी देने से पहले संबंधित लोक सेवक की टिप्पणियां ली जानी चाहिए.
श्री गुप्ता के अनुसार लोकपाल ने कहा कि वह किसी भी सामग्री पर विचार नहीं करेगा, लोकपाल ने कानून के प्रावधानों के विपरीत सीधे मंजूरी दे दी.
CBI की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि अभियोजन की मंजूरी से पूर्व आरोपी को मौखिक सुनवाई का अधिकार नहीं होता.
आरोपी केवल लिखित टिप्पणियां दे सकता है. इसके बावजूद, लोकपाल ने महुआ मोइत्रा को मौखिक सुनवाई का अवसर दिया.
इस क्रम में शिकायतकर्ता निशिकांत दुबे का पक्ष रखते हुए सीनियर एडवोकेट जीवेश नागरथ ने दलील दी कि धारा 20 एक संपूर्ण प्रक्रिया निर्धारित करती है. अधिनियम के अनुसार आवश्यक टिप्पणियां लोकपाल के समक्ष रखी गयी.
दरअसल महुआ मोइत्रा ने 12 नवंबर को पारित लोकपाल के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. आदेश को लोकपाल अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध करार दिया था.
याचिका में आरोप लगाया गया था कि लोकपाल ने केवल रबर स्टैंप की तरह काम किया. महुआ मोइत्रा के बचाव को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए चार्जशीट दाखिल करने की मंजूरी दे दी.
मामला यह है कि महुआ मोइत्रा पर आरोप है कि उन्होंने उद्योगपति और अपने मित्र दर्शन से संसद(पिछली लोकसभा) में सवाल पूछने के बदले नकद राशि ली.
उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उन्होंने संसद का लॉग-इन और पासवर्ड हीरानंदानी को दिया, लेकिन किसी भी तरह की नकद लेन-देन के आरोपों से इनकार किया था.
सीबीआई ने जुलाई में टीएमसी सांसद मोइत्रा और बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकपाल को रिपोर्ट सौंपी थी. सीबीआई ने लोकपाल के अनुरोध पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दोनों के खिलाफ 21 मार्च, 2024 को एफआईआर दर्ज की थी.
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