Ranchi: आठ करोड़ की बैंक जालसाजी में फंसने के बाद पति-पत्नी ने पहचान छिपाकर 20 साल गुजारा. पति ने खुद को मृत घोषित करा लिया. लेकिन सीबीआई ने जांच में नयी तकनीक (इमेज सर्च टूल) का सहारा लेकर दोनों को गिरफ्तार कर लिया.
सीबीआई ने बंगलुरु स्टेट बैंक में हुई आठ करोड़ रुपये की जालसाजी के मामले में 2006 में प्राथमिकी दर्ज की. इसमें रामानुजम मूथूरामालिंगन शेखर को नामजद अभियुक्त बनाया था. रामानुजम ने बैंक के साथ यह जालसाजी मेसर्स इंडो मार्कस एंड बीटीसी होम प्रोडक्ट प्राइवेट लिमेटेड नामक कंपनी के सहारे की.
सीबीआई ने मामले की जांच के बाद रामानुजम के अलावा उसकी पत्नी मनी एम शेखर के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. न्यायालय द्वारा जारी समन के बावजूद दोनों में से कोई कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ. इसके बाद अदालत ने वर्ष 2009 में दोनों को भगोड़ा घोषित कर दिया. सीबीआई ने अभियुक्तों को गिरफ्तार करने के लिए 50 हजार रुपये का इनाम घोषित किया.
जांच के दौरान सीबीआई को इस बात की सूचना मिली कि दोनों अभियुक्त अपनी पहचान छिपा कर रह रहे हैं. इस सूचना के बाद सीबीआई ने नयी तकनीक का सहारा लिया. इसमें इस बात की जानकारी मिली कि रामानुजम ने अपना नाम बदल कर कृष्ण कुमार गुप्ता और पत्नी ने अपना नाम बदल कर गीथा कृष्ण कुमार गुप्ता कर लिया है.
रामानुजम ने खुद को 2008 में मृत घोषित करा कर कृष्ण कुमार के नाम पर रह रहा है. दोनों में से किसी ने भी अपनी पुरानी पहचान से संबंधित दस्तावेज आधार, पैन आदि का इस्तेमाल नहीं किया. दोनों को गिरफ्तारर करने के बाद ट्रायल के लिए कोर्ट में पेश कर दिया गया है.