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Chaibasa: मदरसा फैज-ए-आम में अबना-ए-कदीम का पहला भव्य समागम संपन्न, शिक्षा व सुधार पर हुई सार्थक चर्चा

कार्यक्रम को संबोधित करते वक्ता और उपस्थित पुराने हाफिज व आलिमे दीन.

Rohit Mishra

Jagnnathpur (Chaibasa): जगन्नाथपुर के आफताब नगर अंतर्गत मदरसा फैज-ए-आम में अबना-ए-कदीम कार्यक्रम के बैनर तले मदरसा के पुराने हाफिज व आलिमे दीन छात्रों का पहला समागम शनिवार शाम को मस्जिद-ए-तैय्यबा में आयोजित किया गया. जिसकी अध्यक्षता मो. आफताब आलम और निगरानी हाफिज फिरोज ने की. मदरसा फैज-ए-आम की स्थापना के बाद से अब तक यानी 47 वर्षों के सभी छात्रों को इस कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था.

तेलावत-ए-कुरानपाक से हुआ कार्यक्रम का आगाज 

मदरसा की स्थापना 1978 में बदरुद्दीन रहमतुल्लाह अलैह ने की थी. अबना-ए-कदीम के इस समागम का उद्देश्य यहां से पढ़े सभी छात्रों को आपसी संपर्क और बातचीत के लिए आमंत्रित करना और मदरसे की शिक्षा और प्रशिक्षण को और बेहतर बनाने पर चर्चा करना था. कार्यक्रम का आगाज  मौलाना वकार जमशेदपुरी ने तेलावत-ए-कुरानपाक से किया. इसके बाद अबना-ए-कदीम के प्रसिद्ध कवि मौलाना मूसा ने नात-ए-रसूल प्रस्तुत किया. इसके बाद आलिमे दीन के भाषणों का सिलसिला शुरू हुआ. सभी ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा किया.

बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छी संगति भी दें

प्रथम वक्ता हजरत मौलाना ताहा हुसैन नदवी ने कहा कि न सिर्फ हमारी बहनें, बल्कि हमारे युवा भी मानसिक रूप से धर्मत्यागी होते जा रहे हैं. बच्चों की परवरिश में माताओं की अहम भूमिका होती है. चंपुआ से आमंत्रित हाफिज बरकतुल्लाह  कहा कि बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी माता-पिता दोनों की होती है. माता-पिता को अपने बच्चों के सामने झगड़ा नहीं करना चाहिए. बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छी संगति भी देनी चाहिए.

इस्लामिक शिक्षा के साथ साईंस और टेक्नालॉजी भी जरूरी : डॉ. दानिश

बतौर विशिष्ट अतिथि टाटा कालेज के प्रोफेसर डॉ. दानिश हम्माद जाजिब ने उपस्थित हाफिजों और आलिमे दीन को संबोधित करते हुए कहा कि आज के इस आधुनिक युग मे  इस्लामिक शिक्षा के साथ साथ साईंस व टेक्नॉलोजी एवं कला आदि की शिक्षा भी हमारे लिए जरूरी है. तभी हम देश की अहम सेवा में अपना योगदान दे सकते हैं.

मदरसा फैज-ए-आम क्षेत्र के लिए इनकलाब: मौलाना शाकिर

मौलाना शाकिर ने मदरसा फैज-ए-आम की जम कर तारीफ़ की और कहा कि अल्लाह की मर्जी से यह मदरसा कयामत तक रहेगा और इस मदरसे ने शिक्षा के क्षेत्र में इनकलाब कायम किया है. स्वर्गीय बदरुददीन की मेहनत विशेष रूप से वर्तमान अधीक्षक मो. आफ़ताब आलम, उपाधीक्षक मौलाना फिरोज आलम अल-मुजाहिरी और मदरसे के शिक्षकों की कड़ी मेहनत का फल है. उन्होंने शिक्षा के महत्व और आवश्यकता पर प्रकाश डाला और कहा कि शिक्षा हमारे अस्तित्व की गारंटी है.

यह थे उपस्थित, इनका रहा योगदान

इस कार्यक्रम में मौलान अरशद नदवी, मौलाना इम्तियाज आलम, मौलाना हाफिज साबिर आलम, मौलाना मुबस्सिर, मौलाना समीउल्लाह, हाफिज हंजला उमरी आदि ने भी अपने विचार रखे. अंत में मुफ्ती शादाब आलम ने धन्यवाद ज्ञापन किया. कार्यक्रम को सफल बनाने में मौलाना वकारी नज़ीर अहमद, मुफ्ती तकीउद्दीन हाफिज, शाहिद हाफिज शराफुद्दीन, मौलाना साबिर मीर शादाब, आलम हाफिज तौसीफ का योगदान सराहनीय रहा. इस अवसर पर बतौर विशिष्ट अतिथि जगन्नाथपुर जमीअत के सदर कमर इकबाल, सचिव शमी अफरोज, सेवानिवृत शिक्षक महफूजुर्रमान, डॉ. दानिश हम्माद, काशिफ रजा, मास्टर शमशेर सहित झारखंड, ओडिशा, बंगाल और बिहार के 350 छात्र उपस्थित थे.

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