Sukesh Kumar
Chaibasa : एंटी करप्शन ऑफ इंडिया के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व प्रत्याशी धी. रामहरि पेरियार ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सारंडा के 31,468 हेक्टेयर क्षेत्र को वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी घोषित किए जाने के फैसले पर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि सारंडा का संरक्षण निश्चय ही आवश्यक है, परंतु यह संरक्षण जनता और प्रकृति के लिए हो, कॉरपोरेट और खनन कंपनियों के लिए नहीं. पेरियार ने कहा कि अगर सरकार सच में जंगल बचाना चाहती है तो सबसे पहले सेल और अन्य खनन लीज को रद्द करे. अन्यथा यह फैसला संरक्षण नहीं, बल्कि विस्थापन और कॉरपोरेट कब्जे की वैधानिक साजिश है.
उन्होंने कहा कि सारंडा, जिसे एशिया का सबसे बड़ा साल वन और झारखंड का पर्यावरणीय फेफड़ा कहा जाता है, अब “वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी” के नाम पर नए खतरे में है. सुप्रीम कोर्ट ने भले इसे मंजूरी दे दी हो, लेकिन सरकार की नीतियां और खनन कंपनियों को अभयारण्य क्षेत्र से छूट देने का निर्णय यह साबित करता है कि असली मकसद पर्यावरण नहीं, कॉरपोरेट हितों को सुरक्षित रखना है.
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