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चाईबासा:  ग्रामीण बच्चों व युवाओं में शिक्षा का अलख जगा रही “पूरन की पाठशाला”

Chaibasa : स्वयंसेवी संस्था पूरनचंद फाउंडेशन पश्चिमी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अलख जगा रही है. संस्था “पूरन की पाठशाला” के माध्यम से ग्रामीण बच्चों व युवाओं के जीवन में शिक्षा व ज्ञान का दीप जला रही है. यह मुहिम न केवल बच्चों को पढ़ाने की है, बल्कि उन्हें जीवनोपयोगी कौशल और व्यावहारिक शिक्षा भी प्रदान कर रही है. ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें.

फाउंडेशन की टीम गांव-गांव जाकर बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ उन्हें ऐसे हुनर भी सिखा रही है, जो उनके जीवन को सशक्त बना सके. बिरसा हॉर्टिकल्चर कॉलेज, चाईबासा के छात्रों का सहयोग फाउंडेशन के प्रयासों को और मजबूती प्रदान कर रहा है. इन छात्रों के माध्यम से बच्चों को आधुनिक कृषि, बागवानी और पौधों के संरक्षण के बारे में जानकारी मिल रही है. इस प्रयास से बच्चों को शिक्षा के साथ ही कृषि व हॉर्टिकल्चर के बारे में जानकारी मिल रही है.

पूरनचंद फाउंडेशन का मानना है कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं होनी चाहिए. बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने वाली शिक्षा भी दी जानी चाहिए. यही कारण है कि पूरन की पाठशाला शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास व कृषि ज्ञान पर भी विशेष ध्यान दे रही है, ताकि युवा अपनी मेहनत से सफलता की नई ऊंचाइयों को छू सकें.

पूरनचंद फाउंडेशन के सचिव अभिजीत कुमार और यूथ आइकन अमरदीप कुमार के नेतृत्व में यह फाउंडेशन समाज के अंतिम व्यक्ति तक शिक्षा और अवसर पहुंचाने की अपनी प्रतिबद्धता पर निरंतर काम कर रहा है. इस प्रयास ने ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के प्रति एक नई जागरूकता पैदा की है, जिससे आने वाली पीढ़ी को बेहतर भविष्य की दिशा मिल रही है.

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