कुड़मी-महतो को आदिवासी बनने की मांग पर पक्ष रखने की मांग
Sukesh Kumar
Chaibasa : कोल्हान आदिवासी एकता मंच के बैनर तले आदिवासी समाज ने आदिवासी मंत्री, सांसद व विधायक को 23 सितंबर तक का अल्टीमेटम दिया है. मंच के अध्यक्ष सह बिहार सरकार में डिप्टी स्पीकर रहे देवेन्द्र चांपिया ने कहा कि आदिवासियों के अस्तित्व, अस्मिता व पहचान बचाने अथवा कुड़मी-महतो को आदिवासी बनाने की मांग के संबंध में मंत्री, सांसद और विधायक को ज्ञापन सौंपकर अपना पक्ष लिखित व सार्वजनिक रूप से स्पष्ट करने का अल्टीमेटम दिया गया है. मंच के माध्यम से झारखंड के सभी आदिवासी संगठन कुड़मी-महतो समुदाय की मांग का विरोध कर रहे हैं. कोल्हान सहित पूरे झारखंड में आदिवासियों के अस्तित्व, अस्मिता, पहचान, संस्कृति, भाषा व संवैधानिक अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है.
उन्होंने कहा कि कुड़मी-महतो समुदाय को एसटी में शामिल करने की मांग से आदिवासी समाज के अधिकारों, मूल पहचान और आरक्षण व्यवस्था पर गंभीर आघात होगा. ज्ञापन सौंपने के दौरान माननियों से आदिवासियों के आंदोलन और कुडमी-महतो की मांग पर आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने विस्तार से चर्चा की.
मंत्री, सांसद और विधायक को दिए गए अल्टीमेटम ज्ञापन ने स्पष्ट कहा गया कि कुड़मी-महतो कभी भी भारत की स्वतंत्रता से पूर्व या बाद में आदिवासी सूची में नहीं रहे हैं. संविधान व ऐतिहासिक आधारों पर उनकी एसटी सूची में शामिल करने की कोई विधि-सम्मत व युक्तिसंगत मांग नहीं बनती है. यदि कुड़मि-महतो को एसटी सूची में शामिल किया गया तो इससे मूल आदिवासी समाज का अस्तित्व, अस्मिता, धर्म-संस्कृति, हाषा-भाषा तथा आरक्षण पर आघात पहुंचेगा और उनके मूल अधिकारों का हनन होगा.
चंपिया ने कहा कि समाज का मत है कि 23 सितंबर तक सभी जनप्रतिनिधि अपनी राय सर्वजनिक रूप से स्पष्ट करें, अन्यथा आदिवासी समाज उनके आवास का घेराव, चुप्पी तोड़ो-गद्दी छोड़ो जैसे आंदोलन करेगा. जरूरत पडी तो नेपाल की तर्ज पर कार्रवाई के लिए भी समाज बाध्य होगा. यदि राज्य व केंद्र सरकार कुड़मियों की मांग के समर्थन में कोई कार्रवाई करती है, तो आदिवासी समाज व्यापक विरोध करेगा. इसके तहत 72 घंटे की आर्थिक नाकेबंदी सहित चरणबद्ध अंदोलन किया जाएगा.
इस मौके पर मंच के अध्यक्ष देवेन्द्र नाथ चंपिया, मानकी मुंडा संघ के अध्यक्ष गणेश पाट पिंगुवा, मंच के सचिव रवि बिरूली, वीर सिंह बिरूली, रमाय पुर्ती, संचु तिर्की, अशोक कुमार नाग, मदन बोदरा, रेयांश सामड, राहुल पुर्ती, पंकज बंकिरा, रविन्द्र गिलुवा, सुमित सिंह मुंडा, आकाश हेंब्रम सहित काफी संख्या में आदिवासी समाज के लोग शामिल थे.
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