Ranchi : फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की रियल एस्टेट और अर्बन डेवलपमेंट से जुड़ी उप-समिति की बैठक आज चैंबर भवन में हुई. बैठक में रांची मास्टर प्लान 2037 और बिल्डिंग बाई-लॉज 2016 में कई जरूरी बदलावों की जरूरत पर चर्चा की गई.
उप-समिति के चेयरमैन अंचल किंगर ने बताया कि आरआरडीए से नक्शा पास कराने की प्रक्रिया रुकी हुई है, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर में अनिश्चितता बढ़ गई है. इसका असर पूरे निर्माण उद्योग और निवेश माहौल पर पड़ा है.
उन्होंने कहा कि सरकार को इस पर तुरंत ध्यान देना चाहिए. चैंबर अध्यक्ष आदित्य मल्होत्रा ने बताया कि चैंबर और क्रेडाई मिलकर जल्द ही एक बड़ा रियल एस्टेट एक्सपो आयोजित करेंगे.
उप-समिति के चेयरमैन विकास मोदी ने कहा कि मास्टर प्लान की समीक्षा हर पांच साल में होनी चाहिए, लेकिन पिछले दस वर्षों से इसकी समीक्षा नहीं हुई है, जबकि शहर की जरूरतें काफी बदल चुकी हैं.
सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि फायर एनओसी हर साल लेने की जगह पांच साल में एक बार दी जानी चाहिए.
भवन योजनाओं में मल्टी-लेवल स्टैक पार्किंग को शामिल करने पर भी विस्तार से चर्चा हुई ताकि शहर में पार्किंग और ट्रैफिक की समस्या कम हो सके.
स्मार्ट सिटी की जमीन का म्यूटेशन नहीं होने से लोगों को होने वाली परेशानियों पर भी चिंता जताई गई. कई निवेशक नीलामी से जमीन लेने के बाद भी म्यूटेशन न होने की वजह से दिक्कतों का सामना कर रहे हैं.
चेयरमैन आलोक सरावगी ने झारखंड में स्टांप ड्यूटी को तर्कसंगत बनाने की मांग की और ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स के रजिस्ट्रेशन पर स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की आवश्यकता बताई.
अंत में चैंबर महासचिव रोहित अग्रवाल ने कहा कि वे जल्द ही विभागीय सचिव से मिलकर इन समस्याओं पर समाधान की बात करेंगे.
बैठक में नवजोत अलंग, मुकेश अग्रवाल, विकास मोदी, आलोक सरावगी, अरुण कुमार और अतुल सराफ मौजूद थे.



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