Ranchi : राज्य की राजधानी का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान यानी RIMS इन दिनों खुद गंभीर अव्यवस्थाओं से जूझ रहा है. जिस अस्पताल से प्रदेश के सबसे जटिल मरीजों को जीवनदान मिलने की उम्मीद रहती है, वहीं व्यवस्थापकीय लापरवाही मरीजों और उनके परिजनों के लिए नई मुसीबत बनती जा रही है.
अस्पताल परिसर में चारों ओर गंदगी, टूटे-फूटे ढांचे और बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी देखने को मिल रही है. वॉर्डबॉय की कमी के कारण स्ट्रेचर पर मरीजों को लाने-ले जाने का काम परिजन खुद करने को मजबूर हैं. कई जगह फर्श टूटी हुई और गलियारे असमतल हैं, जिससे स्ट्रेचर फिसलने और मरीज के घायल होने का खतरा बना रहता है.
पीने के पानी की व्यवस्था भी बद से बदतर है. कहीं अत्यधिक गंदगी है तो कहीं नल सूखे पड़े हैं. कई वार्डों में वाटर फिल्टर खराब हैं, जबकि कुछ हिस्सों में पानी की आपूर्ति ही नहीं हो रही है. ऐसे में मरीजों और उनके परिजनों को बाहर से पानी खरीदकर लाना पड़ रहा है.
अस्पताल की कई मंजिलों के बाथरूम लंबे समय से बंद पड़े हैं. खुले कचरे के ढेरों में इस्तेमाल की गई सिरिंज और अन्य मेडिकल अपशिष्ट दिखाई देते हैं, जिससे संक्रमण फैलने का गंभीर खतरा बना हुआ है. दीवारों पर उगे पीपल के पेड़ अब भवन की मजबूती के लिए भी खतरा बन चुके हैं.
परिजनों के लिए अलग वेटिंग रूम की व्यवस्था नहीं होने से लोग गलियारों में ही बैठने और लेटने को मजबूर हैं. इससे मरीजों की आवाजाही में रुकावट होती है. बिस्तरों की कमी के कारण कई मरीज जमीन पर इलाज कराने को मजबूर हैं. बाथरूमों में कचरे के डब्बे खुले पड़े रहते हैं, जिससे संक्रमण का जोखिम और बढ़ जाता है.
अस्पताल में मरीजों को भोजन परोसने वाले कर्मचारियों के हाथों में कई बार ग्लव्स नहीं होते. कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों के लिए यह स्थिति बेहद खतरनाक मानी जा रही है.
इसी बीच RIMS परिसर में 17.8 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया रैन बसेरा भी सवालों के घेरे में है. लंबे समय से यह रैन बसेरा बंद पड़ा है. ठंड और शीतलहर के बीच दूर-दराज से आए मरीजों के परिजन फर्श पर या खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर हैं. तापमान 5 डिग्री तक पहुंच चुका है, लेकिन रैन बसेरा के बाहर ताला लटका हुआ है.
अस्पताल प्रबंधन इसकी जिम्मेदारी नगर निगम पर डाल रहा है, जबकि नगर निगम की ओर से कोई स्पष्ट जवाब सामने नहीं आ रहा है. इस खींचतान का खामियाजा गरीब मरीजों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि अस्पताल वह जगह होती है जहां मरीज पहले से ही कमजोर स्थिति में होते हैं. ऐसे में गंदगी, दूषित पानी, खुले मेडिकल कचरे और अव्यवस्थित भोजन व्यवस्था जैसी परिस्थितियां संक्रमण को बढ़ावा दे सकती हैं. यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो हालात किसी बड़े स्वास्थ्य संकट का रूप भी ले सकते हैं.
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